Tuesday, May 25, 2010

साजिश

रातों की तन्हाई से शिकवे है मुझे,
उजाले भी अब साजिश नजर आते है.

चांदनी जो अक्सर बादलों में छुपी होती है,
जब उसे देखता हूँ तो तारे मुस्कुराते है.

कहती थी खूब है दुनियां की हर सूरत ,
फ़िर क्यों इंसान यहाँ पत्थर बन जाते है.

कहते हैं लोग कि हर फूल बहुत प्यारा है,
दिलों पे फिर वो क्यों नस्तर चुभाते है .

चाहता था मैं भी कि खुश होके जिन्दा रहूँ,
गमों में मंजर मगर दिल को दुखाते है.

यों मार चुके है वो पहले भी कई बार मुझे ,
मगर हर बार मेरी मौत पे रोने को आते है .

15 comments:

दिलीप said...

sir bahut sundar bhaav bas pehli pankti me saajish nazar aata hai ...atpata laga kyunki saajish nazar aati hai...aisa likha ho to jyada badhiya...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...
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honesty project democracy said...

समाज और देश में फैले आतंक और भय तथा अविश्वास को दर्शाती कविता / सराहनीय प्रस्तुती /

सुभाष चन्द्र said...

हर रात के बाद सुबह होती है... हर निराशा के बाद इक नई उम्मीद जगती है....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

गजलनुमा कविता में भाव बहुत अच्छे है , अरविन्द जी

कडुवासच said...

...बेहतरीन रचना,बधाई !!!

nilesh mathur said...

वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

drsatyajitsahu.blogspot.in said...

यों मार चुके है वो पहले भी कई बार मुझे ,
मगर हर बार मेरी मौत पे रोने को आते है .

bahut pyari rachana hai................

राजकुमार सोनी said...

क्या बात है दोस्त.. बहुत ही जबरदस्त। बड़े दिनों के बाद अच्छी रचना पढ़ी।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

कहते हैं लोग कि हर फूल बहुत प्यारा है,
दिलों पे फिर वो क्यों नस्तर चुभाते है .
लाजवाब! खुशी के साथ दर्द भी समाया है दिल मे, अपनी गज़ल मे इसका एहसास दिला जाते हैं। सुन्दर्। और हमेशा की तरह जय जोहार्………

Ra said...

यों मार चुके है वो पहले भी कई बार मुझे ,
मगर हर बार मेरी मौत पे रोने को आते है .


वाह ! शानदार प्रस्तुति ....अच्छा लिखते है .....यह रचना वाकई लाजवाब है ......सभी पंक्तिया असरदार

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कहती थी खूब है दुनियां की हर सूरत ,
फ़िर क्यों इंसान यहाँ पत्थर बन जाते है.

यही दुनिया का चलन है...खूबसूरत अभिव्यक्ति

संजय भास्‍कर said...

वाह ! शानदार प्रस्तुति ....अच्छा लिखते है .....यह रचना वाकई लाजवाब है ......सभी पंक्तिया असरदार

अंजना said...

यों मार चुके है वो पहले भी कई बार मुझे ,
मगर हर बार मेरी मौत पे रोने को आते है .

वाह बहुत खुब ,अच्छी प्रस्तुति...

दिगम्बर नासवा said...

यों मार चुके है वो पहले भी कई बार मुझे ,
मगर हर बार मेरी मौत पे रोने को आते है .

ये तो इस दुनिया का दस्तूर है ... वो दस्तूर निभाने ही तो आते हैं ... अच्छा लिखा है भाई ...