शीतल वायु के
मंद वेग का
झूठा सहारा लेकर
टूटे पत्ते का
विशाल पुष्प के
कामुक वक्षों से
सटकर चिपक जाना,
फ़िर
कोमल पंखुङियों को हटाकर
कठोर अग्र-भाग से
स्वर्णिम पुष्प-केन्द्रक का
अमृतमयी स्पर्श.
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11 comments:
कोमल पंखुङियों को हटाकर
कठोर अग्र-भाग से
स्वर्णिम पुष्प-केन्द्रक का
अमृतमयी स्पर्श.
बहुत खुब,बहुत खुब,बहुत खुब
hmmm..achhi rachna
...vaah vaah ... atisundar !!
सुन्दर रचना है।बधाइ।
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
कोमल पंखुङियों को हटाकर
कठोर अग्र-भाग से
स्वर्णिम पुष्प-केन्द्रक का
अमृतमयी स्पर्श.
लाजवाब पंक्तियाँ! बहुत ही खूबसूरती से आपने हर एक शब्द लिखा है! प्रशंग्सनीय रचना!
शब्दो का सुन्दर प्रयोग
बेहतरीन
Alag,anoothi rachna!
fir se kahonnga bhut sindar ..rachna
http://athaah.blogspot.com/
"शानदार"
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
dobara aa gya......
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