गर्मी की छुट्टी शुरु हो गयी थी.स्कुल के बच्चे जो होस्टल में रहते थे, खाली समय में कुछ करना चाहते थे.सबने मिलकर सोचा कि कठपुतली खेल खेला जाये ..बच्चों ने प्रांगण को घेर कर एक रंगमंच बनाया और दर्शकों के लिये दर्शक-दीर्घा बनाया गया. फ़िर सभी ने लकङियों के कई पुतले बनाये. प्रधान-मंत्री सहित सभी दिग्गज हस्तियों के पुतले हु-ब-हु बना लिये बच्चों ने.रंगमच पर ही सभा बनाया गया.बच्चे पुरी उत्साह से कार्य कर रहे थे ताकि उनका कार्यक्रम सफ़ल हो.सभा में पुतले बिठा दिये गये.सभी पुतलों में छेद कर काले रंग केअलग-अलग पतले धागे से बांधा गया जिसे नेपथ्य के एक कमानी से जोङ दिया गया.अब एक संचालक की जरुरत थी जो धागा भी हिलाता और सबके संवाद भी बोलता.....यानी कमान संभालता.
संचालक के नियुक्ति संबंधी सलाह के लिये सभी छात्र होस्टल अधिक्षक के पास गये.अधीक्षक महोदय ने कहा-"किसी सशक्त विदेशी महिला को इस कठपुतली-नांच का संचालक बनाओ,देखना तुम्हारे कार्यक्रम को देश की सवा सौ करोङ जनता देखेगी.".
7 comments:
waah sava sau karod ke gaal pe karara tamacha...bahut sahi...
किसी सशक्त विदेशी महिला को इस कठपुतली-नांच का संचालक बनाओ,देखना तुम्हारे कार्यक्रम को देश की सवा सौ करोङ जनता देखेगी.".
.....bahut sahi...
किसी सशक्त विदेशी महिला को इस कठपुतली-नांच का संचालक बनाओ,देखना तुम्हारे कार्यक्रम को देश की सवा सौ करोङ जनता देखेगी.".
gajab ka satire hai ................
...बहुत खूब !!!!
Bahut khoob likha hai is khel ke baare mein ...
bilkul sahi kaha hai..........
bahut sundar .....waisemaine kathputi ka khel hi jaipur jakar dekha....
Jai Ho Mangalmay Ho
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