Tuesday, July 20, 2010

मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है

मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है, कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.

अब न वो दिन भरी उजालों का , न ही अब रात उतनी काली है.
मेरे महबूब की शाम कभी न आये , न ही सुबह में अब वो लाली है.
कैसे जिंदा रहूं बता तु मुझे , देख ले आज गम-ए-हाल मेरा कैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है, कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.

वो बसंती हवा बही थी अभी ,ये धूप तेज किरण पल मे ही ढह जायेगी.
रात रानी सी खङी है चौखट पर , गिर रही बूंद जो बरसाती बह जायेगी.
मैं कफ़न ओढ के जीता रहा हूं बरसो से, जिंदा दिल अब भी तेरे जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.

चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है.
काली दुनिया में नहीं रौशन है एक जर्रा भी,आंख भी पत्थरों के जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.

11 comments:

Anonymous said...

bahut badhiyaa !

संजय भास्‍कर said...

मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है, कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.


दिल के सुंदर एहसास

Unknown said...

चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है.
काली दुनिया में नहीं रौशन है एक जर्रा भी,आंख भी पत्थरों के जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.....सुंदर एहसास......

कविता रावत said...

काली दुनिया में नहीं रौशन है एक जर्रा भी,आंख भी पत्थरों के जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.
... dil se nikle khoobsurat alfaaz....

कडुवासच said...

... बेहतरीन!!!

दिगम्बर नासवा said...

चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है.

इस ज़माने की सुन कर मुहब्बत हो भी नही सकती ....
बहुत खूब लिखा है आपने ...

girish pankaj said...

iss vaicharik kranti ke yagya ko jaree rakhe. badhai.

आपका अख्तर खान अकेला said...

khudaa aapk mehbub ko aqal de , aapkaa andaaz khubsurt or pyaara he. akhtar khan akela kota rajsthan

अजय कुमार said...

जिंदगी खास होती है ,महबूब भी खास होता है ।

वाणी गीत said...

चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है...
दुनिया के रंजो गम सहने के बाद अब उजाले की बारी है ...!

ZEAL said...

.
मैं कफ़न ओढ के जीता रहा हूं बरसो से, जिंदा दिल अब भी तेरे जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है....

Beautiful expressions !

I am mesmerized by this creation.