मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है, कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.
अब न वो दिन भरी उजालों का , न ही अब रात उतनी काली है.
मेरे महबूब की शाम कभी न आये , न ही सुबह में अब वो लाली है.
कैसे जिंदा रहूं बता तु मुझे , देख ले आज गम-ए-हाल मेरा कैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है, कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.
वो बसंती हवा बही थी अभी ,ये धूप तेज किरण पल मे ही ढह जायेगी.
रात रानी सी खङी है चौखट पर , गिर रही बूंद जो बरसाती बह जायेगी.
मैं कफ़न ओढ के जीता रहा हूं बरसो से, जिंदा दिल अब भी तेरे जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.
चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है.
काली दुनिया में नहीं रौशन है एक जर्रा भी,आंख भी पत्थरों के जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.
11 comments:
bahut badhiyaa !
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है, कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.
दिल के सुंदर एहसास
चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है.
काली दुनिया में नहीं रौशन है एक जर्रा भी,आंख भी पत्थरों के जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.....सुंदर एहसास......
काली दुनिया में नहीं रौशन है एक जर्रा भी,आंख भी पत्थरों के जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है.
... dil se nikle khoobsurat alfaaz....
... बेहतरीन!!!
चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है.
इस ज़माने की सुन कर मुहब्बत हो भी नही सकती ....
बहुत खूब लिखा है आपने ...
iss vaicharik kranti ke yagya ko jaree rakhe. badhai.
khudaa aapk mehbub ko aqal de , aapkaa andaaz khubsurt or pyaara he. akhtar khan akela kota rajsthan
जिंदगी खास होती है ,महबूब भी खास होता है ।
चलो अच्छा है मेरे दिल में जगह है तेरी, पीठ पर जख्म बहुत खाये हैं.
मैं तो बहरा हूं जमाने की अब नहीं सुनता, क्योंकि इल्जाम बहुत पाये है...
दुनिया के रंजो गम सहने के बाद अब उजाले की बारी है ...!
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मैं कफ़न ओढ के जीता रहा हूं बरसो से, जिंदा दिल अब भी तेरे जैसा है.
मेरा महबूब मेरी जिंदगी के जैसा है , कोई गैर नहीं न ही ऐसा वैसा है....
Beautiful expressions !
I am mesmerized by this creation.
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