नहीं बिकेगी आज
मंहगे गेहूं के दाने.
नहीं निकलेगा धुआं
मंहगे पेट्रोल के जलने से.
न ही आसमान में कालिख पुतेंगे
क्योंकि आज भारत बंद है.
आज किसी रेल को
केनवाली वीयर के डब्बों की तरह
नहीं फ़ेका जायेगा
पटरियों के इर्द-गिर्द.
नहीं मारे जायेंगे इंसान
बीचो-बीच अपने लक्ष्य के
क्योंकि आज भारत बंद है.
आज बैंक अधिकारी नहीं खायेगा
कर्ज देने के बदले रिश्वत.
आज नहीं होगी चहलकदमी
मंत्रालयों में दलालों के.
सदा की तरह अदालतों में
आज भी नहीं मिलेगा इंसाफ़.
पहले की तरह आज भी
दबी रह जायेगी गरीबी फ़ाईलों में.
क्योंकि आज भारत बंद है.
हां कुछ बेरोजगारों को
मिलेगा एक दिन की रोजी.
चन्द सिक्कों से गरीबों के घर
आज फ़िर जलेगा मनहूस चुल्हा.
आज फ़िर बङे नेताओं के घर
खायी जायेंगी मंहगी घी से सनी
राजनीति की गरमागरम रोटियां
क्योंकि आज भारत बंद है.
11 comments:
आज फ़िर बङे नेताओं के घर
खायी जायेंगी मंहगी घी से सनी
राजनीति की गरमागरम रोटियां
क्योंकि आज भारत बंद है. ..bahut sundar,,,,saarthak...seedhi chot.
Monday, July 5, 2010
आज भारत बंद है.
नहीं बिकेगी आज
मंहगे गेहूं के दाने.
नहीं निकलेगा धुआं
मंहगे पेट्रोल के जलने से.
न ही आसमान में कालिख पुतेंगे
क्योंकि आज भारत बंद है.
आज किसी रेल को
केनवाली वीयर के डब्बों की तरह
नहीं फ़ेका जायेगा
पटरियों के इर्द-गिर्द.
नहीं मारे जायेंगे इंसान
बीचो-बीच अपने लक्ष्य के
क्योंकि आज भारत बंद है.
आज बैंक अधिकारी नहीं खायेगा
कर्ज देने के बदले रिश्वत.
आज नहीं होगी चहलकदमी
मंत्रालयों में दलालों के.
सदा की तरह अदालतों में
आज भी नहीं मिलेगा इंसाफ़.
पहले की तरह आज भी
दबी रह जायेगी गरीबी फ़ाईलों में.
क्योंकि आज भारत बंद है.
Badhiya Vyang !
To get peace, we truly need Bharat band !
How pathetic !
Its so sad to know that we need halt for a day, to stop corruption.
If we keep moving, the filth and crime will move ahead of us.
Bahut badhiya vyang likha hai aapne.
Shubhkaamnayein !
@divya
vaise maine aisa sochkar nahi likha tha...lekin aapke comment ne sochne par majboor kar diya.....
i think and think and finaaly conclude that yes it doesnt matter if bhaarat band hai.if loss and gain r equal than ......what to say...it might b a ray of hope for the hopeless destitute of open india.
Aah! Na jane aisi kitni sadiyan beet jayengi...jo aaj band karva rahe hain,wo bhi kabhi sattape the...aur shayad agle election me aa jayen...tab farq padega? Aam aadmi kalbhi kuchala gaya...aur aane kal bhee kuchala jayega...
यह रचना भारत बंद को सही रूप में दर्शा रही है...
मंगलवार 06 जुलाई को आपकी रचना ..मैं भी चश्मदीद हूँ ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
एक दम सही चित्र खींचा है भारत बंद का..
आपकी लेखनी को नमन.
mमगर नहीं मिलेगी
मज्दूर को दिहाडी नही
जलेगा उसके घर चुल्हा
नहीं मिलेगी दवा उसके बच्चो को
नहीं जा पायेगा कोई काम पर
देखी मैने एक एम्बूलेंस
बन्द की भीड को छंटते हुये खडी
मरीज मर जायेगा
मगर नेता बंद की सफलता पर
ताली बजायेगा
हाँ निकम्मे नेताओं का मकसद
जरूर पूरा होगा
अखिर विरोधी दलों का काम ही इतना है चाहे कोई भी सत्ता मे हो-- ऐसे बंद किस काम के?
Asardaar vyangya...
बंद महँगाई के खिलाफ़ नहीं था बंद था अमन के खिलाफ़, बंद था शांति के खिलाफ़, बंद था आम आदमी के खिलाफ़।
मै भी इसका विरोध करती हूँ। क्यों इस के लिये इस लिन्क पर जायें---
http://kalptaru.blogspot.com/2010/07/blog-post_6755.html
सुंदर अभिव्यक्ति. आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा..
...
इंटरनेट के जरिए अतिरिक्त आमदनी के इच्छुक साथी कृपया यहां पधारें - http://gharkibaaten.blogspot.com
wah!...great
Post a Comment