एक तरफ़ है खुदा का बंदा , एक तरफ़ मां का बेटा
हम भारत के मान के रक्षक आज करें हम समझौता.
खङी किये जो तुमने पत्थर से ढाह दो मजहब की दीवारें
मैं भी गंगाजल हाथ में लेकर आज मिटा दूं लक्ष्मण रेखा.
इस्लाम के जिंदाबादी नारे से अब गगन-भेद मैं करता हूं
मुल्क से रखकर आज मुहब्बत तुम भी कह दो वंदे माता.
तुम रामायण के श्लोकों से आज सजाओ अपने कुरान को
मैं कुरान के आयत लेकर फ़िर से लिखता हूं कोई गीता.
अरुणाचल को शीष झुकाकर एक बार नमाज पढकर देखो
जम्मु को मुख करके मैं भी शिव का भजन हूं अब गाता.
पूज्य हमारे राम-कृष्ण को तुम बुलाओ अपने मस्जिद में
परवरदिगार तेरे अल्ला की मैं शिव-मंदिर में मूर्ति बनाता.
ले जाऊंगा तेरे प्यारे बच्चों को मैं बागों की सैर कराने को
मेरे अनाथ और भूखे शिषु को तुम भी दूध पिला देता
ढोंगी - मुल्ला पाखंडी - पंडित हैं कुपुत्र पथ - भ्रष्ट हुए है
मिल राम-रहीम जयहिंद कहे तो होगा मां का मस्तक उंचा
एक ही मां के बच्चे हैं हम न कोई हिन्दू न कोई मुस्लिम
संबंध खून का है हमारा , तुम अनुज मेरे मैं अग्रज भ्राता.
6 comments:
तुम रामायण के श्लोकों से आज सजाओ अपने कुरान को
मैं कुरान के आयत लेकर फ़िर से लिखता हूं कोई गीता.
बहुत उत्तम विचार है .... काश सभी इस बात को समझ पाते तो अपना देश पुनः सोने की चिड़िया हो जाता ...
क्रांतिकारी चिंतन क्रांतिदूत का
आभार
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
बहुत उत्तम विचार है
आपने बिल्कुल सही लिखा है और मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ! उम्दा प्रस्तुती!
aapse sahmat hoon
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
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