Thursday, April 1, 2010

सालगिरह का तोहफ़ा

मालिक के बेटे की सातवीं सालगिरह मनायी जा रही थी।सैकङों लोग मालिक के लिये उनके घर के ही सदस्य थे.घर के सभी लोगों को तोहफ़े बांटे गये.एक उजला टी-शर्ट घर मे रह रहे सभी लोगों को दिया गया....लेकिन वितरण का कार्य चमचागिरि करनेवाले कर्मचारियों को सौंपा गया.चालाकी से कर्मचारियोंने सभी को टी-शर्ट दे दिये लेकिन मालिक के छोटे भाई को छांट दिया गया.ब्युहरचना का उद्देश्य मालिक को अनभिग्य रखना,छोटे भाई को चिढाना औए नींचा दिखाना,अपने आप को मालिक का सबसे भरोसेमंद साबित करना और कुत्तों के लिये फ़ेंके जानेवाले रोटी के टुकङों को पुरी तरह हङप जाना॥सब कुछ था. बात जितनी छोटी थी षङयंत्र उतना ही विशाल.

मालिक का छोटा भई जानता था विभाग की गलती नहीं है.वह कर्मचारियों के लिये प्रार्थना कर रहा था ""फ़ादर,फ़ोरगिव देम ,फ़ोर दे डोंट नो व्हाट दे डू."

8 comments:

Jandunia said...

बहुत सुंदर रचना

दिगम्बर नासवा said...

बहुत अच्छे ... मज़ा आ गया ....

संगीता पुरी said...

अच्‍छी कहानी .. हरेक व्‍यक्ति की मानसिकता अलग हुआ करती है !!

कविता रावत said...

जितनी छोटी थी षङयंत्र उतना ही विशाल.
Vartman pradrashy ko laghu kahane ke madhyam se dekhane ka saarthak prayas....

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi badhiyaa

Urmi said...

वाह बहुत ही बढ़िया लगा! शानदार और मज़ेदार!

कडुवासच said...

....जबरदस्त भाव,बेहतरीन अभिव्यक्ति!!!

ASHOK KUMAR VERMA 'BINDU' said...

VERY GOOD !

www.ashokbindu.blogspot.com