अब नहीं चाहिये मधुशाला
तुम दे दो हमको एक प्याला.
मैं मृग भटका जीवन भर
गर्मी की सूखी रेतों पर.
सपनों का संसार लिये
आजतलक हूं मैं प्यासा.
तुम दे दो हमको एक प्याला
नहीं चाहिये संसार तेरा
एक प्रेम-दृष्टि ही काफ़ी है.
मैं प्रेम का सागर क्यों चाहूं
जब एक बूंद है जग-आला.
तुम दे दो हमको एक प्याला
सपने भी थे, कुछ अर्थ भी थे.
मैं स्वयं ही एक मधुशाला था.
सभी पी गये सारे मय
दे गये मुझे खाली प्याला.
तुम दे दो हमको एक प्याला
थक गया बहुत जीवन पथ पर
निस्तेज हुआ, निष्प्राण बना.
तुम मदिरा बनकर आ जाओ,
मैं आतुर हूं, हूं मैं ब्यौला
तुम दे दो हमको एक प्याला.
अब नहीं चाहिये मधुशाला.
8 comments:
bilkul sahi he itni garmi me
or upper se lu bhi chal rahi he
bas ab chahiye thande pani ka ek pyala
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
थक गया बहुत जीवन पथ पर
निस्तेज हुआ, निष्प्राण बना.
तुम मदिरा बनकर आ जाओ,
मैं आतुर हूं, हूं मैं ब्यौला
तुम दे दो हमको एक प्याला.
अब नहीं चाहिये मधुशाला"
बहुत बढ़िया पँक्तियाँ...."
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
सपने भी थे, कुछ अर्थ भी थे.
मैं स्वयं ही एक मधुशाला था.
सभी पी गये सारे मय
दे गये मुझे खाली प्याला.
तुम दे दो हमको एक प्याला..
वाह! हम तो निशब्द हो गए! अत्यंत सुन्दर रचना! बहुत ही गहराई के साथ आपने हर एक शब्द को बखूबी प्रस्तुत किया है!
bahut achcha sir kya khoob kaha..bas ek sujhav anyatha na lijiyega...agar mukhya pankti me 'mujhko' kar de to aur maza aayega...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
थक गया बहुत जीवन पथ पर
निस्तेज हुआ, निष्प्राण बना.
तुम मदिरा बनकर आ जाओ,
मैं आतुर हूं, हूं मैं ब्यौला
तुम दे दो हमको एक प्याला.
अब नहीं चाहिये मधुशाला.
sunder.....!!
मदिरा बनकर आ जाओ,
मैं आतुर हूं, हूं मैं ब्यौला
तुम दे दो हमको एक प्याला.
अब नहीं चाहिये मधुशाला
....bahut khoob !!!
Kitni pyarbhari iltija hai yah!
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