जब भी
किसी खूबसूरत नव-यौवना के
ढके हुए,उभरे वक्ष-स्थल को
देखकर कामातुर हुआ.
मैंने तुम्हें याद किया।
जब भी
बाजारु खुशियों को
अपनी जेब में भरकर
जश्न मनाया.
मैंने तुम्हें याद किया।
जब भी
दर्द से कराहते हुए
जख्म पर मरहम लगाने के लिये
किसी कोमल श्पर्स की जरुरत हुई.
मैंने तुम्हें याद किया।
यह सच है
तुम कभी नहीं आयी.
लेकिन फ़िर भी
तुम्हारे सच्चे प्यार और वफ़ादारी पर
नतमस्तक हूं.
क्योंकि हर बार
तुम्हारी याद तो आयी....
9 comments:
"प्रेम सदा ही शाश्वत रहा है....."
वाह! क्या बिंब गढे हैं
आपने कविता में।
आभार
yaad to aai
maine to chaha
ye kya kam hai
ki maine tumhe hi yaad kiya.....
bahut khub
badhai aap ko is ke liye
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
...बहुत सुन्दर .... छा गये अरविंद भाई,बधाई!!!
जब भी
किसी खूबसूरत नव-यौवना के
ढके हुए,उभरे वक्ष-स्थल को
देखकर कामातुर हुआ.
मैंने तुम्हें याद किया।
....very nice.
जब भी
दर्द से कराहते हुए
जख्म पर मरहम लगाने के लिये
किसी कोमल श्पर्स की जरुरत हुई.
मैंने तुम्हें याद किया।
वाह इन पंक्तियों ने तो दिल को छू लिया! बहुत ही गहरे एहसास के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है! बधाई!
तुम्हारे सच्चे प्यार और वफ़ादारी पर
नतमस्तक हूं.
क्योंकि हर बार
तुम्हारी याद तो आयी.... vaah.bahut khub.
nice.. i like ur poems ..simple yet deep ...
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