Wednesday, April 7, 2010

तुम्हारी याद तो आयी....

जब भी
किसी खूबसूरत नव-यौवना के
ढके हुए,उभरे वक्ष-स्थल को
देखकर कामातुर हुआ.
मैंने तुम्हें याद किया।

जब भी
बाजारु खुशियों को
अपनी जेब में भरकर
जश्न मनाया.
मैंने तुम्हें याद किया।

जब भी
दर्द से कराहते हुए
जख्म पर मरहम लगाने के लिये
किसी कोमल श्पर्स की जरुरत हुई.
मैंने तुम्हें याद किया।

यह सच है
तुम कभी नहीं आयी.
लेकिन फ़िर भी
तुम्हारे सच्चे प्यार और वफ़ादारी पर
नतमस्तक हूं.
क्योंकि हर बार
तुम्हारी याद तो आयी....

9 comments:

Amitraghat said...

"प्रेम सदा ही शाश्वत रहा है....."

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

वाह! क्या बिंब गढे हैं
आपने कविता में।

आभार

रश्मि प्रभा... said...

yaad to aai
maine to chaha
ye kya kam hai
ki maine tumhe hi yaad kiya.....

Shekhar Kumawat said...

bahut khub

badhai aap ko is ke liye


shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com/

कडुवासच said...

...बहुत सुन्दर .... छा गये अरविंद भाई,बधाई!!!

Unknown said...

जब भी
किसी खूबसूरत नव-यौवना के
ढके हुए,उभरे वक्ष-स्थल को
देखकर कामातुर हुआ.
मैंने तुम्हें याद किया।
....very nice.

Urmi said...

जब भी
दर्द से कराहते हुए
जख्म पर मरहम लगाने के लिये
किसी कोमल श्पर्स की जरुरत हुई.
मैंने तुम्हें याद किया।
वाह इन पंक्तियों ने तो दिल को छू लिया! बहुत ही गहरे एहसास के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है! बधाई!

Unknown said...

तुम्हारे सच्चे प्यार और वफ़ादारी पर
नतमस्तक हूं.
क्योंकि हर बार
तुम्हारी याद तो आयी.... vaah.bahut khub.

संजय भास्‍कर said...

nice.. i like ur poems ..simple yet deep ...