जिसने न पायी मोहब्बत उनको पटाने आये थे.
कायरों की भीङ में हम सर कटाने आये थे.
जानता था जालिमों का जुल्म चलता ही रहेगा.
हम शहादत का तमाशा उनको दिखाने आये थे.
सोती रही है जिंदगी , ठंढी मिट्टी के कब्र में,
हम मुसाफ़िर क्रांति की चंगारी जलाने आये थे.
नफ़रतों की दुनियां मे तो आशिकी भी पाप है.
हम मौत को अपनी मोहब्बत भेंट करने आये थे.
आज भी बहनों की इज्जत लुट रही है बेधङक
जुल्म के सौदागरों से इज्जत बचाने आये थे.
इंसानियत की पीठ पर चाकू के निशानें हैं कई
हम शेर बनकर गोलियां छाती पे खाने आये थे.
आज मजहब पाखंडियों के घर की है वेश्या बनी
पैगाम भाईचारे का लेकर मजहब सिखाने आये थे.
हर जुर्म के चौराहे पर तुम टांग देना लाशें मेरी.
हजारो मौतों के बीच हम जिंदगी जीने को आये थे.
14 comments:
सुन्दर गजल।
तीखे चोट करते शेर...
सुन्दर रचना...
आज के माहौल पर चोट करती हुई रचना। बहुत ही शानदार
क्रांतिदूत जी क्रांति दिख रही है आपकी गजल में..
छा गए क्रांतिदूत जी...
very hirarious, motivating
हर जुर्म के चौराहे पर तुम टांग देना लाशें मेरी.
हजारो मौतों के बीच हम जिंदगी जीने को आये थे. लाज़वाब! अनवरत लिखते रहें हमे भी कुछ टिप्स देते रहें।
ye dharm ye jaati ye atankwaad badalte rishte , ujadte ghar, bikta pyaar, pyaar ke naam par havas ka khel, raajneeti ka doglapan...kitna kuch hai keh sakne ko is desh me...Arvind ji bahut badhayi is behtareen gazal ke liey jo seedha dil pe chot karti hai...lekin haan ye soorat hamare alava koi badal bhi nahi sakta...
kya kahu Sir bahut sochne ke baad bhi samjh nahi aa raha meri aaj ki post ko hi mera comment samjh lijiye ............isse zyada kuch keh nahi paa rahi ya fir kehna to chahti hu par shayad keh nahi paungi ..........aisi ghatnaaye sun kar aankhe nam ho jati hai dil ro padta hai .......pata nahi ye sab kab band hoga..........????
.... ये हुई न कुछ बात ...बेहतरीन !!!
...आपका हमारे "औघड आश्रम" में स्वागत है!!!
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर.
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!
Post a Comment