Sunday, June 6, 2010

तेरा यौवन सुन्दर-वन सा

मृग-नयनी सी आंखें तेरी
होठ तुम्हारे कमल फ़ूल सा
केश घने बादल के जैसा
तेरा यौवन सुन्दर-वन सा.

तेरा तन हो जैसे चंदन
रंग तुम्हारा किरण सूर्य का
तेरा मन है मलय पवन सा
तेरा यौवन सुन्दर-वन सा.

उद्यान-शिला से वक्ष तुम्हारे
हिरण की तरह चलती हो तुम
कोमल हृदय बसंत के जैसा
तेरा यौवन सुन्दर-वन सा.

12 comments:

संजय भास्‍कर said...

तेरा तन हो जैसे चंदन
रंग तुम्हारा किरण सूर्य का
तेर मन है मलय पवन सा
तेरा यौवन सुन्दर-वन सा.


इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

कडुवासच said...

...बहुत सुन्दर ... कमाल कर रहे हो अरविंद जी !!!!

Urmi said...

तेरा तन हो जैसे चंदन
रंग तुम्हारा किरण सूर्य का
तेर मन है मलय पवन सा
तेरा यौवन सुन्दर-वन सा.
मन की गहराई से लिखी गयी ख़ूबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत बधाई! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ!

दिगम्बर नासवा said...

मृग-नयनी सी आंखें तेरी
होठ तुम्हारे कमल फ़ूल सा
केश घने बादल के जैसा
तेरा यौवन सुन्दर-वन सा...

सोन्दर्य रस टपक रहा है ब्लॉग से .. सुंदर वर्णन है ....

vandana gupta said...

shringaar ras ki ek bahut hi sundar rachna......badhayii.

रचना दीक्षित said...

बहुत सुन्दर, लाजवाब !!!!!!

Unknown said...

उद्यान-शिला से वक्ष तुम्हारे
हिरण की तरह चलती हो तुम
कोमल हृदय बसंत के जैसा
तेरा यौवन सुन्दर-वन सा.
.....dil ko chhu lenevaali rachna.

hem pandey said...

रीतिकालीन सौन्दर्यबोध की पुनरावृति सी लगी.

सूर्यकान्त गुप्ता said...

हे क्रान्ति दूत, तेरा मन भी सुन्दर मन सा। भाव श्रिन्गार भरा हो जिसमे, औ फुलवारी हो शब्द सुमन सा। बहुत बढिया।

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा रचना!

honesty project democracy said...

यौवन का ख़ूबसूरत और विचारणीय वर्णन,अच्छी कविता ....