Tuesday, June 8, 2010

प्यार की परिभाषा पूछा नाम तुम्हारा बता दिया

सारी दुनियां से तु प्यारी मैंने सबको जता दिया
प्यार की परिभाषा पूछा नाम तुम्हारा बता दिया.

सागर की लहरों को मैंने हंसते हंसते छका दिया
उसकी ही राहों में मैंने प्यार का शिला लगा दिया.

चांद को बोला दाग छिपा ले तेरी भी कोई सूरत है.
पूछा तेरी महबूब है कैसी ? तेरी मूरत दिखा दिया.

पर्वत के मांथे को मैंने आज जमीं पर झुका दिया
तुझको देख गगन मंडल में अपना मांथा उठा लिया.

पंडितों और मुल्लाओं को मोहब्बत का पाठ पढा दिया
खुदा से जाकर अपना मजहब प्यार है मैंने बता दिया.

सीमा और सरहद को मैंने उसकी ही हद दिखा दिया
प्यार की हर एक सीमा को पल भर में ही मिटा दिया.

मेरे महबूब की जात जो पूछा मैंने तमाचा लगा दिया
तेरे ही हाथों की मेंहदी के रंग को मैंने दिखा दिया.

गरजी थी दुश्मन की तोपें फ़िर भी उनको हरा दिया
तेरे पायल की मीठी खन-खन मैंने उनको सुना दिया.

16 comments:

aarya said...

सादर!
मजाक मजाक में आपने
प्यार करना सिखा दिया
रत्नेश त्रिपाठी

राजकुमार सोनी said...

आज मैं कई जगहों से रोमानी कविताएं ही पढ़कर आ रहा हूं. अच्छा लग रहा है। लग रहा है कि चलो साले को एक बार फिर से प्यार किए जा....

फिल्म देखी जाए।
अच्छी रचना है।

कडुवासच said...

...क्या बात है ... क्या स्टाईल है !!!!

कडुवासच said...

...वाह वाह ...वाह वाह ...!!!

माधव( Madhav) said...

बहुत ही अच्छी रचना.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सारी दुनियां से तु प्यारी मैंने सबको जता दिया
प्यार की परिभाषा पूछा नाम तुम्हारा बता दिया.
Bahut Badhiya

vandana gupta said...

bahut hi bhaavbhini rachna.

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

गरजी थी दुश्मन की तोपें फ़िर भी उनको हरा दिया
तेरे पायल की मीठी खन-खन मैंने उनको सुना दिया.

वाह वाह--क्या बात है

सूर्यकान्त गुप्ता said...

पंडितों और मुल्लाओं को मोहब्बत का पाठ पढा दिया
खुदा से जाकर अपना मजहब प्यार है मैंने बता दिया.ऐ खुदा, ओ ईश्वर, ओ गाड, ओय वाहे गुरु, क्या तूने हम सबके मन मे सचमुच यह घुट्टी पिला दिया?

आचार्य उदय said...

आईये जानें … सफ़लता का मूल मंत्र।

आचार्य जी

पवन धीमान said...

गरजी थी दुश्मन की तोपें फ़िर भी उनको हरा दिया
तेरे पायल की मीठी खन-खन मैंने उनको सुना दिया. सुन्दर अभिव्यक्ति

Urmi said...

बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

आचार्य उदय said...

आईये सुनें ... अमृत वाणी ।

आचार्य जी

दिगम्बर नासवा said...

गरजी थी दुश्मन की तोपें फ़िर भी उनको हरा दिया
तेरे पायल की मीठी खन-खन मैंने उनको सुना दिया.

बहुत ग़ज़ब की रचना है ... मज़ा आ गया ...

संजय भास्‍कर said...

चांद को बोला दाग छिपा ले तेरी भी कोई सूरत है.
पूछा तेरी महबूब है कैसी ? तेरी मूरत दिखा दिया.

बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

संजय भास्‍कर said...

आख़िर क्या लिखूँ .....?
itna kuch to aapney likh liya hai...achichi prastuti.