डिपार्टमेंट के एच ओ डी का फ़ोन आया.."गुड मोर्निंग...आज से सभी वर्क मदर लेंग्वेज में करना है"---लगा जैसे साहब रोमन स्क्रिप्ट पढ रहे हों----"जी. एम साहब का ओर्डर है कि सारा काम आन लेंग्वेज में करना है.आजकल हिन्दी काफ़ी वीक चल रहा है". मैंने रिप्लाई किया.."यस सर...,हिन्दी वीक तो चल ही रहा है दिनों-दिन और भी वीकर होती जा रही है."---मैं अपनी स्मार्टनेस का प्रूफ़ दे रहा था लेकिन टाइम के प्रोबलेम के चलते साहब ने फ़ोन हेंग ओफ़ कर दिया.मैं सिरियसली सोचने लगा .अभी तो हिन्दी वीक से वीकर हुई है यदि सिचुएशन को कंट्रोल नहीं किया गया तो हिन्दी वीकर से वीकेस्ट हो जायेगी. एक बार यदि सुपरलेटिव डिग्री में पहुंच गयी तो कोई भी इस पूअर लेंग्वेज को रिस्पोंस नहीं देगा....सभी लोग ’द’ लगाकर छोङ देंगे.
नेक्स्ट डे डेली की तरह सनराइज होते ही विन्डो से लाइट आने लगी. जब से मेडम शेक अप नहीं देती सनलाइट ही मुझे जगाती है. फ़्रेश होकर ब्रेकफ़ास्ट और काफ़ी ले लिया. हिन्दी आखिर मदर लेंग्वेज है उसके वेलफ़ेयर के लिये सोचना हमारी ड्युटी है.क्वार्टर से सीटी की ओर निकल पङा. एक औटोवाले से पूछा--" सी. एम.डी कालेज का कितना लोगे..?.उसने अपना दाहिना हाथ उपर किया और सारे फ़िंगर्स फ़ैला दिये.आजकल ये लोग काफ़ी चिटिंग करते हैं.मैंने कहा..."फ़िंगर्स क्यों दिखा रहे हो ? मुंह से बोलो." वह अपने फ़िंगर्स को काउंट करने लगा---"वन, टू...फ़ाइव".मैंने कहा--"हिन्दी में नहीं कह सकते..?" उसने सीधा जवाब दिया---"ईशारा तो हिन्दी में ही किया था. लेकिन लोग तो हिन्दी का ईशारा समझते ही नहीं, इंगलिश से अफ़ेयर चला रहे हैं और हिन्दी के साथ एमोशनल अत्याचार कर रहे हैं. उसके फ़ीलिंग्स को हर्ट करते हैं जिससे उसका हार्ट पिसेज में ब्रेक अप हो जाता है. इस पूअर लेडी के लीवर को तो अंग्रेजों ने ही डैमेज कर दिया था. उपर से इमप्युरिटी को फ़िल्टर करने के चक्कर में किडनी भी चोक हो गयी है. रेस्ट तो पूरे वर्ल्ड के सामने विजिबुल है.."..उसके स्पीच ने मुझे स्पीचलेस कर दिया था. वह ड्राइवर कम स्कोलर था.हम सी. एम.डी कालेज पहुंच गये थे.
वहां पहुंचते ही वह ट्वेंटी फ़ाइव रुपये का डिमांड करने लगा. मैंने कहा--"तुमनें तो फ़ाइव रुपीज ही कहा था..?" उसने जवाब दिया--"आपने तो मेरा दूसरा हाथ देखा ही नहीं था. मैंने लेफ़्ट हेन्ड का मिडिल और फ़ोर फ़िंगर भी फ़ैलाया था. ".उसके रिप्लाइ से मेरा बी.पी हाइ हो गया--" तो...फ़ाइव प्लस टू सेवेन ही हुआ ना, मल्टिप्लाइ भी करोगे तो टेन हुआ". वह हंसते हुए बोला--" मैंने स्क्वायर किया था." मेरे साथ चीटिंग तो हो ही गयी थी. मैं बुदबुदाया---"ओफ़, करप्शन का रूट (मूल) कितना गहरा हो गया है" वह झट से बोला--"एक्चुअली साहेब अभी फ़्लाइ ओवर से नींचे आये न इसलिये रूट गहरा लग रहा है."
"शट अप..मैं करप्शन के रूट की बात कर रहा हूं....तुम्हारे रूट (रास्ता) की नहीं."
"मैं भी उसी रूट की बात कर रहा हूं साहेब. इंडिपेंडेस के बाद हम लोग लैंड को छोङकर फ़्लाइ ओवर पे उङने लगे थे. अंग्रेजों के सब कुछ चुराये लेकिन उसका दिया हुआ ओनेस्टी बेच दिया. अब तो कोई डिपार्टमेंट नहीं बचा है जहां यह रूट नहीं जाता. इस रूट से आप जहां कहेंगे पहुंचा दुंगा...ये रूट तो आजकल नेशनल हाइ वे बन चुका है."
वह सही कह रहा था. हम करप्शन के रूट (मूल) के बारे में बेकार सोच रहे हैं हमें उसके रूट (रास्ते) को ही बंद कर देना चाहिये. वह फ़िर शुरु हो गया--"बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप. लेकिन नजरिया बदलने की जरुरत है. यदि मैं पांच के बदले पच्चीस ले रहा हूं तो आप पूछिये क्यों. मेरे पास जवाब है. उनके पास क्या जवाब है जो लाख रुपये वेतन पाते हैं और करोङो रुपये संदूक में भरकर रखते हैं.......दूसरी बात हिन्दी को..तो आजकल लोग हिन्दी के साथ बलात्कार कर रहे हैं और आप भी कम छिनाल नहीं हैं कहने को हिन्दी बोलते हैं पर बीच-बीच में अंग्रेजी ठूस देते है. हम गरीब क्या करें आपकी भाषा नहीं बोलेंगे तो आप जुबान नहीं काट लेंगे हमारी..?"..अब वह शुद्ध हिन्दी बोल रहा था.मैं आत्म-ग्लानि से भर गया था.मैंने भी सोच लिया कि अब शुद्ध हिन्दी में ही बातें करुंगा.
13 comments:
बहुत ही बढ़िया है अगर आप आज से शुद्ध हिंदी में वार्तालाप करेंगे..
पर जो भी कहिये.. अगर सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है.. वही मालिक है...
आशा करिये कि हिन्दी का खात्मा ना हो...
आभार
... bahut sundar ... saarthak post !!!
...आजकल इसी तरह की हिंदी बोली जान आम बात सी हो गयी है. बहुत ही सटीक और सही समय पर सार्थक प्रस्तुति
हिंदी दिवस की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ
बढ़िया कटाक्ष...यू नो ..मोस्ट ऑफ़ अस ..ऐसे ही बोलते हैं अब .........
अच्छा लगा आपका ब्लॉग..और खुशी हुई छत्तीसगढ़ के लेखक का ब्लॉग पढकर..
मैं भी छत्तीसगढ़ का ही हूँ..मेरे ब्लॉग का अवलोकन करें तो खुशी होगी..
www.kya-karu.blogspot.com
waah arvind ji..sahi chot maari hai :)
बहुत अच्छा लगा ये कटाक्ष। जय हिन्द।
बहुत सुन्दर व्यंग !
बहुत सटीक!!
हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
:):)
nice.................bahut sunder
चर्चा मंच-२८८ पर आप शोभायमान हैं जी..
बढ़िया व्यंग
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