कार्यालय से प्रस्थान कर घर पहुंचने ही वाला था ,आज फ़िर श्रीमतीजी द्वार पर प्रतीक्षा कर रही थी.मैंने गहरी सांसें ली अवश्य कोई अशुभ क्षण आ गया है.
"जानते हो आज मेरे पापा घर आये हैं "--वह बोली.
"तो कौन सा दिन में चांद निकल आया है. जो इतनी खुश हो रही हो. यह समाचार कुछ देर के बाद नहीं दे सकती थी."---मैं स्वयं को नियंत्रित नहीं रख पाया था. वह बोली---"मैं सरप्राइज दे रही हूं और तुम..........."
" सरप्राइज दे रही हो या हार्ट अटेक करवाना चाहती हो...?जिससे जमकर रेल्वे का पेंशन खा सको......ये सब समाचार कम से कम दस दिन पहले बता दिया करो........."----मैं तब भी सहज नहीं हो पाया था. कमरे में जाकर चुप-चाप बैठ गया.
तीन अक्षरों से बना यह शब्द "ससुर" आकारान्त में आते ही ससुरा (गाली) बन जाता है अर्थात एक संज्ञा से दूसरी संज्ञा या संबोधन बन जाता है.संधि विच्छेद करें तो स+सुर ,लेकिन अक्सर ये दामाद के सुर को बिगाङ दिया करते है.बिना कोई कुसूर किये ही यह दामाद के साथ असुरों सा व्यवहार करते हैं जो ससुर का व्याकरण कि दृष्टि से विपरीतार्थक है.वैयाकरणाचार्यों को चुनौती देते हुए मेरे हिसाब से तो ससुर,असुर और कुसूर समानार्थक शब्द हैं.समानार्थक ही नहीं एकार्थक कहिये. हिन्दी के जन्म-दाताओं ने यदि इन तीनों शब्दों के बदले एक ही शब्द बनाया होता तो मातृ-भाषा हिन्दी भी सरला होती और लोगों का जीवन भी कुशल होता.
साहित्य और व्याकरण से हटना नहीं चाहता. मूल शब्द सुर ही है अर्थात देवता, वीर आदि.अब "अ" पहले लगा दें तो असुर अर्थात राक्षस....लेकिन दामादों का दुर्भाग्य देखिये सुर में स लगाकर ससुरा क्षमा करें ससुर बनाया गया. यदि वे सचमुच देवता या वीर होते तो सीधे सुर कहा जाता.यहां सुर में ’स’ लगाकर पूर्व के विद्वानों ने सीधे संकेत किया है कि ससुर अर्थात कन्या के पिता उतने ही सुर हैं जितना उनमें स लगा है बांकी उतने ही असुर जितना स नहीं लगा है. अर्थात उनके विशेषण ससुरत्व या ससुरता से उनके योग्यता को मांपना चाहिये.यह शब्द अक्सर करण कारक बनकर संबंध कारक को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं. कर्ता , कर्म और सम्बोधन कारकों में बिना गलती किये सम्प्रदान कारक पर कार्य करें तो संबंध कारक सुरक्षित रहेंगे ,अन्यथा शनि सहित अन्य सभी ग्रहों के अच्छे प्रभाव भी उन्हें करण कारक बनने से नहीं रोक सकते. लाख भाषा और साहित्य को मधुर कर लें ससुर के मामले में तो व्याकरण का ही चलता है.......
अगले भाग मे इस शब्द का लैंगिक विश्लेषण करेंगे........क्रमश:
11 comments:
Wonderfull......I am waiting for part 2
अच्छी व्याख्या कर ली है ससुर की आपने.
काफी ससुर सताए लगते हैं :)
... haa haa haa ... rochak post !!!
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आप दामाद हैं, ससुर जी से मत डरा कीजिये... उनसे कहिये नाती नातिन को शौपिंग करा दिया करें, शाम को एक घंटे पढ़ा दिया करें.
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वैसे आपकी श्रीमती जी काफी सहेनशील लगती हैं.....इनती विस्फोटक न्यूज़ भोलेपन के साथ सरप्राइस की तरह दे रही हैं..smiles..
तभी तो हम पुराने रस्मो रिवाज के फैन है, जहाँ बेटी के घर जाना तो दूर, उसके घर का पानी पीना भी ससुर पक्ष के लिए हराम होता था ..
ससुरा.. लाजवाब था..
अगला पोस्ट करिये जल्द.. ससुर के जाने से पहले :)
वैसे तो दामाद को दशम ग्रह मानते हैं लोग, लेकिन आप लीक तोड़ने वालों में से हैं। ससुर शब्द की व्याख्या मजेदार लगी।
मस्त पोस्ट है।
ससुरा.. लाजवाब था....arvind ji
बड़ा ही सुन्दर, शानदार, रोचक और लाजवाब लगा! अब अगली कड़ी का इंतज़ार है!
आपके इंजिनियर बनने पर आपको बहुत-बहुत बधाई..अभियंता दिवस की शुभकामनायें..
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