Friday, September 3, 2010

मेरी बिटिया सो रही है

आज सुलाकर चिर-निद्रा में
उसे गर्भ में दफ़न करेंगे.
मां का आंचल ही बेटी के
शव ढकने को कफ़न बनेंगे.
अपनी प्यारी माता को वह
डायन कहकर रो रही है.
मेरी बिटिया सो रही है

मां की गोद का पता नहीं
उसे यह दुनियां नहीं दिखेगी
नहीं बनेगी कभी वो बहना
उसकी डोली नहीं सजेगी.
उसको कुछ भी नहीं मिला है
फ़िर जानें क्या खो रही है.
मेरी बिटिया सो रही है

जा रही वह नील गगन में
कोस रही है अपने बाप को
कभी नहीं अब वह लौटेगी
जान गयी वह जग के पाप को
बहुत दूर है मेरी बिटिया
कितने दुख वह ढो रही है
मेरी बिटिया सो रही है

14 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

गाय मार गंगा नहाए,
कन्या मार कहाँ जाए?

लोकोक्ति है कि अगर आपके हाथ से गाय की हत्या हो जाती है या हत्या कर देते हैं तो पाप गंगा नहाने से धुल जाते हैं।
लेकिन कन्या मारने के पाप का प्रायश्चित करने के लिए तीनों लोकों में कोई स्थान नहीं है। ब्रह्म हत्या से भी बड़ा पाप माना गया है।

सुंदर कविता के लिए आभार

डॉ महेश सिन्हा said...

मार्मिक अभिव्यक्ति

ब्लॉ.ललित शर्मा said...


बेहतरीन लेखन के बधाई


पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर-पधारें

Udan Tashtari said...

बहुत जबरदस्त अभिव्यक्ति!

रश्मि प्रभा... said...

kuch kahne ko nahi hai ....

कडुवासच said...

.... क्या बात है !!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कटु सत्य को कहती मार्मिक रचना

निर्मला कपिला said...

aaj ke haalaat bhrooN hatyaa par maarmik abhivyakti| shubhakaamanaayen

Shabad shabad said...

कभी नहीं अब वह लौटेगी....

नहीं-नहीं बिटिया

ऐसा मत करना

हमें तेरी है

बहुत ज़रूरत

तेरे प्यार से

यह संसार चलता

एक मकाँ से

सुन्दर घर बनता

तू सुन्दर्ता की मूर्त है

हाँ हमें तेरी बहुत ज़रूरत है !!!!

soni garg goyal said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बिटिया को गर्भ में ही दफ़न करने में माँ से अधिक पिता का हाथ है.

Urmi said...

बहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

Anamikaghatak said...

is kavita ki jitni tariif kii jaye klam hai.........bada hi bhavpoorna rachna........badhiya

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही अच्छी रचना .. ऐसी रचनाएँ अक्सर आशा का संचार करती हैं ... लाजवाब ..