Monday, August 23, 2010

अब तो उल्लू बैठ गया है पेंङ की हर डाल मियां

मुझसे ना पूछो कामन वेल्थ गेम का हाल मियां
अब तो उल्लू बैठ गया है पेंङ की हर डाल मियां

नेताजी तो अपना झोली भरकर ही भाषण देते हैं
साथ में अब अधिकारी भी चूस रहे हैं माल मियां

कभी नहीं भर पायेंगे दिल्ली की सङकों का गड्ढा
शीला दीदी ने मन में फ़हमी लिया है पाल मियां

खच्चरों, गदहों से ढुलवायी जा रही सिमेंट की बोरी
सियार इतने शातिर हैं कि लगने न देते गाल मियां

स्वीमिंग पूल की जगह बनी हुई है झील बरसाती
प्रेक्टिस करनेवालों का हो गया है चेहरा लाल मियां

अंदर से यह महाघोटाला उपर से आतंक का खतरा
आजाद हो चुके राष्ट्रकुल अब जान रहे हैं चाल मियां

खेल खेल में खेल हो रहा खेल का यह गजब खेल
लूटो जिसको जितना चाहो बांका न होगा बाल मियां

15 comments:

सूर्यकान्त गुप्ता said...

"waah waah!waah waah!
aapne to tareeqe se kar diyaa hai inke kaarnaamo par dhamaal miya"

कडुवासच said...

... bahut khoob ... laajavaab !!!

माधव( Madhav) said...

agreed with you


बरबाद-ए-गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी था,
हर शाख पर उल्लू बैठा है, अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

खेल खेल में खेल हो रहा खेल का यह गजब खेल
लूटो जिसको जितना चाहो बांका न होगा बाल मियां

हा हा हा-
अच्छी पोल खोली है शीला दीदी की म्यां
दिल्ली का हाल बेहाल दिल्ली बेहाल म्यां।

बहुत बढिया।

kshama said...

Jitna in games ke bareme sunte hain ya padhte hain,sharm aane lagtee hai.
Waise bechare ulluko ham bekar me badnaam karte hain! Unki Kalmadi se kya barabari?
Bada karara vyang kasa hai.

Udan Tashtari said...

बहुत सटीक!

रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

फ़िरदौस ख़ान said...

रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं...

adhooresapane said...

खायेंगे, दबायेंगे,घर भी ले जायेंगे ,ये लोकतंत्र है |
बस तुम जानो हम जानें ,ऐसा ही है हाल मियाँ ||

ब्लॉ.ललित शर्मा said...


अच्छी पोस्ट-आपको श्रावणी पर्व की हार्दिक बधाई

लांस नायक वेदराम!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

खेल खेल में खेल हो रहा खेल का यह गजब खेल
लूटो जिसको जितना चाहो बांका न होगा बाल मियां

बहुत सुन्दर रचना बनाई है अरविन्द जी , हकीकत बयां करती !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया व्यंग

दिगम्बर नासवा said...

खेल खेल में खेल हो रहा खेल का यह गजब खेल
लूटो जिसको जितना चाहो बांका न होगा बाल मियां ..

वाह वाह ... खेल की पोल खोल दी आपने तो ....
खेल ही खेल में पैसा खा रहे हैं सब नेता .... अच्छा व्यंग है ....

ajay saxena said...

...बेहद अच्छी पोल खोली है...श्रावणी पर्व की आपको भी बहुत -बहुत शुभकामनाएं .

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

Anonymous said...

बहुत सुँदर रचना श्रीमान