Thursday, August 5, 2010

प्रतिशोध

"काट डाल उसको.....सब्जी के माफ़िक काट डाल"---अन्ना भाई से फ़ोन पर बात कर रहा था----"साला हमारे धंधे में टाग अङाता है....क्या बोलता था हमारे अड्डे में आग लगायेगा...अच्छा...ऐसा कर उसके घर में आग लगा उसपे बरतन पिन्हा और उसमें तेल को उबाल.....साला हरामी कहींके.......बोल्ता है हिंसा नहीं होने देगा....अब उसकी धुलाइ कर और तेल में टुकङे-टुकङे कर के डाल दे..........उछलेगा....उछलेगा जानता हूं......मसाला डालकर उसे ढक दे.....अब देख जितना उछलेगा आग और तेल में उतना ही पकेगा.....साला खूब उछलता था......और सुन बाहर के लोग कुछ बोले तो नमक-मिर्च लगाकर उसको भी डाल दे उसी में......साला डिश बन जायेगा....."तभी बीच में कुक ने टोका....."साहेब खाना बन चुका है लगा दूं ?" अन्ना ने सिर हिला दिया.----"आज तो लाजवाब डिश बनाया है रे....कहां से सीखा...?
कुक ने कहा---"आज तो साहेब आपके कहे मुताबिक ही बनाया है.मैं रसोई से आपकी बात सुन रहा था.मेरे बेटे के बारे मे बात हो रही थी इसलिये मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा था...बस हाथ आपकी जुबान के आर्डर पर काम कर रहे थे डिश तैयार हो गया. आज मेरे घर में भी ऐसा ही डिश बना होगा". अन्ना बङे चाव से खाना खाने लगा फ़िर अचानक वह पत्थर सा हो गया जब देखा कि उसका पांच साल का बेटा घर से गायब था.

नैतिक शिक्षा--प्रतिशोध का परिणाम बहुत बुरा होता है, इससे किसी की भलाई नहीं होती.विपरीत परिस्थितियों के लिये समय को दोषी मानकर शोध करना चाहिये प्रतिशोध नहीं.प्रतिशोध का डिश बार बार नहीं पका सकते....पर प्रक्रिया निरन्तर रहती है.

12 comments:

राजेश उत्‍साही said...

आपकी लघुकथा में अंतिम पैरा की जरूरत नहीं है। दूसरी बात यह बात साफ नहीं होती है कि कुक के बेटे के बारे में बात क्‍यों हो रही है।

बहरहाल आपका टमाटर व्‍यंग्‍य बहुत अच्‍छा है।

soni garg goyal said...

उफ़ ऐसा प्रतिशोध !

Shabad shabad said...

अच्छी लघुकथा ....
गहरी बात कह डाली आप ने ...
जैसा कोई करे वैसा भरे...

Mithilesh dubey said...

बढिया लगा आपको पढना ।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

प्रतिशोध की चिंगारी हमेशा सु्लगती रहती है।
हवा पाकर आग बनती है और लपे्ट लेती है आस पास को।

अच्छी कथा

आभार

कडुवासच said...

... shaandaar post !!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रतिशोध का बहुत भयावह रूप ...

Parul kanani said...

badi kushlta se kalam ka aagaz kiya hai :) gud one1

शरद कोकास said...

नये टाइप की लघुकथा है भाई ।

#vpsinghrajput said...

जैसा कोई करे वैसा भरे.
सुंदर। अति सुंदर!

#vpsinghrajput said...
This comment has been removed by the author.
अरुणेश मिश्र said...

प्रतिशोध मनोभाव का प्रशंसनीय अभिव्यक्तीकरण ।