आज मैं बताऊंगा चांद तुझमें क्या कमी है
देखता हूं पार तेरे गगन में कितनी जमीं है.
काले बादल हैं मगर सन्नाटा भी पसरी हुई
तू अकेला है उदास , तेरी आंखों में नमी है.
तेरे दामन में लगे जो दाग दिख जाते ही हैं
तू अमावस को छिपा ,पूर्णिमा जैसी रमी है.
देखकर सबकी खुशी तू भी जलती है बहुत
मेरे गम से आंख पथरीली तेरी कब घमी है.
आशिकों की फ़ौज रुककर देखते तुमको सदा
पल-भर भी तेरी चाल अब तक कब थमी है.
13 comments:
वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई
CHAND TUJHME KYA KAMI HAI.
WAH ARVIND JI...BAHUT KHOOB KYA KEHNE..
BEHTREEN .........LIKHA HAI..
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काले बादल हैं मगर सन्नाटा भी पसरी हुई
तू अकेला है उदास , तेरी आंखों में नमी है...
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बहुत ख़ूबसूरती और बारीकी से बातें रखीं हैं आपने। इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई।
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बहुत खूब अरविन्द जी.
इन दिनों चाँद के खूब चर्चे हो रहे है अलग अलग अंदाज़ में.. ये भी खूब रहा.. लिखते रहिये ...
आशिकों की फ़ौज रुककर देखते तुमको सदा
पल-भर भी तेरी चाल अब तक कब थमी है.
bahut sunder najm.
काले बादल हैं मगर सन्नाटा भी पसरी हुई
तू अकेला है उदास, तेरी आंखों में नमी है
बहुत अच्छी लगी कविता। शुभकामनायें।
आज मैं बताऊंगा चांद तुझमें क्या कमी है
देखता हूं पार तेरे गगन में कितनी जमीं है.
Badee anoothee rachana hai!
बहुत अच्छी रचना लिखी है आपने .,,,,
काले बादल हैं मगर सन्नाटा भी पसरी हुई
तू अकेला है उदास , तेरी आंखों में नमी है...
क्या बात कही है अरविन्द जी .....
धन्यवाद .......
http://nithallekimazlis.blogspot.com/
वाह अरविन्द जी, चांद को एक अलग ही कोण से देखना पसंद आया।
मस्त अंदाज।
वाह अरविन्द जी, एक नया नज़रिया ..बहुत सुन्दर...
मेरे ब्लॉग पर इस बार
उदास हैं हम ....
अरविन्द जी ,
चाँद का अनोखा मूल्यांकन है.
आज मैं बताऊंगा चांद तुझमें क्या कमी है
देखता हूं पार तेरे गगन में कितनी जमीं है.
वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई. इतनी सुन्दर रचना के लिए बहुत = बहुत बधाई।
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