आज भी ठेकेदार ने काम देने से मना कर दिया. ठेकेदार के तो सौ में से पचास रुपये कमीशन देने में खर्च हो जाते हैं. इमानदारे से उसे काम मिलता ही कहां है. लेकिन बेचारा मजदूर तो पिस रहा है. सात दिनों से काम नहीं. आज तो घर में खाने के लिये अनाज भी नहीं है. जिसकी औकात नहीं होती उसे बैंक भी कर्ज नहीं देता. वह परेशान होकर घर लौटा और बैठ गया चेहरे को हाथों में लेकर. पत्नी चांदिया सामने आकर खङी हो गयी.आंखों में आंसू की दो बूंदों के सिवा कुछ ना कह सकी. होठ फङफ़ङाये जरूर लेकिन शब्दहीन स्वर भूख की त्रासदी के सिवा कुछ भी बय़ां नहीं कर पाये. वह बोला----"जाता हूं चौराहे पर....सभी को जमा करता हूं और कहता हूं कि हमें भी रोटी पाने का हक है. यदि हमें रोटी नहीं मिला तो मैं दुनियां में आग लगा दूंगा." चांदिया बोली----" तमाशा करने की कोई जरुरत नहीं हैं.बाहर के लोग समझते हैं हमारा देश दुनियां की तीसरी ताकत है. यह क्यों नहीं सोचते कि सच बोलोगे तो हमारी तीसरी ताकत की छवि का क्या होगा...".
चांदिया की तीन साल की भूखी बेटी मुस्कुरा कर अपनी मां को मौन समर्थन दे रही थी.
17 comments:
... bahut sundar ... behatreen bhaavporrn laghukathaa !
कडवा सच कितना मार्मिक होता है।
यथार्थ चित्रण मर्मस्पर्शी है.आपकी लेखन कला अद्भुत है.
यथार्थ का मार्मिक चित्रण !
आह ! तीसरी ताकत का सच … !
आम आदमी की बेबसी के बलबूते पर ही टिका है सारा खोखला दर्प
अरविंद जी
अच्छी लघुकथा के लिए बधाई !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही सुन्दर लघुकथा...
मेरे ब्लॉग इस बार मेरी रचना ...स्त्री
मुझे अच्छा लगता है आप के ब्लॉग पर यथार्थ और व्यंग्य का बेहतरीन समन्वय और सशक्त प्रस्तुति.
हर रचना की तरह ये भी बहुत शानदार और वाकई में सच्चाई का बहुत ही सटीक चित्रण.
आप सभी को हम सब की ओर से नवरात्र की ढेर सारी शुभ कामनाएं.
बहुत ही सुन्दर...
नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।
बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब लघुकथा! बधाई!
आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
कड़वा सच ...बेहतरीन लघुकथा.
बहुत ही मार्मिक !
देश की बढ़ती जी डी पी का असली चेहरा यही है |
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण लघुकथा! बधाई!
...आगे एक पंक्ति और बढ़ा देते..
..सुना है दिल्ली में बड़ा खेला हो रहा है..बहुत से विदेशी मेहमान आए हैं, सुनेंगे तो क्या होगा!
achhi laghukatha
yahi to hai......kadva sach
hello arvind ji hum devesh bakshi tol mein bhetal rahun... nik lagal ahank rachna
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