Monday, October 4, 2010

ट्रांसफ़र (लघुकथा)

(ससुरजी तो घर पर रह ही रहे है. उनसे बातचीत नोंक-झोंक चलता ही रहता है.आपको एक और खुशखबरी दे रहा हूं कि मेरी सासू मां, मेरे सालेजी और प्यारी साली भी जल्द ही मेरे घर पधार रही हैं....इसलिये अभी थोङा सा विराम लेता हूं कुछ दिनों के बाद पुन: यह व्यन्ग्य श्रृंखला लेकर उपस्थित हो जाउंगा)



                                             ट्रांसफ़र (लघुकथा)



डी.जी.पी साहब ने पदभार संभालते ही डाटा मंगवाया. अस्सी आई.पी.एस अधिकारी और मालदार पोस्ट सिर्फ़ बीस.क्या करते ....? बीस सबसे भ्रष्ट अधिकारियों को मालदार पोस्टों पर ट्रांसफ़र कर दिया गया. सबसे मालदार पोस्ट पर जिस एस.पी ने ज्वायन किया उसने डाटा लेकर सभी डी.एस.पी और थाना प्रभारियो के मालदार पोस्टों पर भ्रष्ट पुलिसवालों को ट्रांसफ़र कर दिया. सबसे मालदार थाना का प्रभारी सबसे भ्रष्ट पुलिस को चुना गया.सबसे भ्रष्ट थाना प्रभारी ने हवलदारों और अन्य पुलिसवालों को बुलाकर समझाया---"हमे पुलिस विभाग मे शिष्टाचार और भ्रष्टाचार दोनो चाहिये. यदि ठीक से नौकरी करना है तो कहीं से भी दस लाख रुपये का प्रबंध करो. इतना मालदार पोस्ट मुफ़्त में नहीं मिलता.....हमें अच्छी कुर्सी पाने की कसौटी पर खरा उतरना है."

13 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

Fantaastic!

Anonymous said...

बहुत ही सुन्दर ....

मेरे ब्लॉग पर इस बार ....
क्या बांटना चाहेंगे हमसे आपकी रचनायें...
अपनी टिप्पणी ज़रूर दें...
http://i555.blogspot.com/2010/10/blog-post_04.html

कडुवासच said...

... bahut khoob !!!

ZEAL said...

sundar laghukatha.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ज़बरदस्त व्यंग ...अच्छी लघु कथा

Udan Tashtari said...

बहुत सटीक.

निर्मला कपिला said...

बिलकुल आज का सच है लघु कथा।
कृ्प्या मेरा ये ब्लाग भी देखें
http://veeranchalgatha.blogspot.com/
धन्यवाद।

Anonymous said...

मेरे ब्लॉग पर मेरी नयी कविता संघर्ष

vijai Rajbali Mathur said...

Arvindji,
yah vyangaiy nahin SATYA hai.

शरद कोकास said...

कविता की पुस्तक का क्या हुआ भाई ?

दिगम्बर नासवा said...

ये तो हक़ीकत है आज की .... अच्छी कथा है ...

संजय भास्‍कर said...

.........ज़बरदस्त व्यंग

vandana gupta said...

बेहतरीन व्यंग्य्।