Wednesday, October 20, 2010

आया नया जमाना है.

पांव बढाता हूं अब आगे , हृदय मेरा तनिक न हिलता
जाना है दूर क्षितिज तक जहां गगन धरती से मिलता.


छूना हमको वह उंचाई जहां ठंढी ओस की बूंदें बनती
सांझ जहां होती है रुककर ,सुबह जहां होली सी मनती


सागर की गहराई में जो बैठा वह मोती हमको चुनना है.
चिङिया रानी चूजों से जो बातें कहती है , वह सुनना है.


मिला हाथ आशा की किरणों से सूरज सी आभा पाना है
कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है.

11 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

Bahut din bad lekin bahut achha likha.
shandaar abhivyakti.

kshama said...

छूना हमको वह उंचाई जहां ठंढी ओस की बूंदें बनता
सांझ जहां होती है रुककर ,सुबह जहां होली सा मनता.
Panktiyaan to behtareen hain,lekin ling gadbad hai!

Boonden "banatee' hain tatha subah 'mantee' hai,aisa hona chahiye,nahee lagtaa aapko?

कडुवासच said...

... बहुत खूब ... बेहतरीन !!!

Shabad shabad said...

कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है..
क्या बात कही है !!

Urmi said...

वाह! बहुत बढ़िया! उम्दा प्रस्तुती!

arvind said...

@क्षमाजी
मैने गलतियाँ सुधार दी है.आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

VIJAY KUMAR VERMA said...

सागर की गहराई में जो बैठा वह मोती हमको चुनना है.
चिङिया रानी चूजों से जो बातें कहती है , वह सुनना है.
BAHUT HEE SUNDAR PANKTIYA...GAZAL KE BAKEE SHER BHEE ACHCHHE LAGE...ACHCHHE GAZAL KE LIYE BADHAI

vijai Rajbali Mathur said...

jis akancha se kavya-dhara bahi hai voh zaroor poorn ho aisi hamari ichcha hai.

ZEAL said...

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मिला हाथ आशा की किरणों से सूरज सी आभा पाना है
कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है.


Beautiful poetry !

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संजय भास्‍कर said...

मिला हाथ आशा की किरणों से सूरज सी आभा पाना है
कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है.

....................बहुत खूब, लाजबाब !

दिगम्बर नासवा said...

सागर की गहराई में जो बैठा वह मोती हमको चुनना है.
चिङिया रानी चूजों से जो बातें कहती है , वह सुनना है.

बहुत खूब है आपकी आशा ... अच्छा लिखा है ..