पांव बढाता हूं अब आगे , हृदय मेरा तनिक न हिलता
जाना है दूर क्षितिज तक जहां गगन धरती से मिलता.
छूना हमको वह उंचाई जहां ठंढी ओस की बूंदें बनती
सांझ जहां होती है रुककर ,सुबह जहां होली सी मनती
सागर की गहराई में जो बैठा वह मोती हमको चुनना है.
चिङिया रानी चूजों से जो बातें कहती है , वह सुनना है.
मिला हाथ आशा की किरणों से सूरज सी आभा पाना है
कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है.
11 comments:
Bahut din bad lekin bahut achha likha.
shandaar abhivyakti.
छूना हमको वह उंचाई जहां ठंढी ओस की बूंदें बनता
सांझ जहां होती है रुककर ,सुबह जहां होली सा मनता.
Panktiyaan to behtareen hain,lekin ling gadbad hai!
Boonden "banatee' hain tatha subah 'mantee' hai,aisa hona chahiye,nahee lagtaa aapko?
... बहुत खूब ... बेहतरीन !!!
कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है..
क्या बात कही है !!
वाह! बहुत बढ़िया! उम्दा प्रस्तुती!
@क्षमाजी
मैने गलतियाँ सुधार दी है.आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
सागर की गहराई में जो बैठा वह मोती हमको चुनना है.
चिङिया रानी चूजों से जो बातें कहती है , वह सुनना है.
BAHUT HEE SUNDAR PANKTIYA...GAZAL KE BAKEE SHER BHEE ACHCHHE LAGE...ACHCHHE GAZAL KE LIYE BADHAI
jis akancha se kavya-dhara bahi hai voh zaroor poorn ho aisi hamari ichcha hai.
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मिला हाथ आशा की किरणों से सूरज सी आभा पाना है
कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है.
Beautiful poetry !
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मिला हाथ आशा की किरणों से सूरज सी आभा पाना है
कहती है बहती हवा की धारा ......"आया नया जमाना" है.
....................बहुत खूब, लाजबाब !
सागर की गहराई में जो बैठा वह मोती हमको चुनना है.
चिङिया रानी चूजों से जो बातें कहती है , वह सुनना है.
बहुत खूब है आपकी आशा ... अच्छा लिखा है ..
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