Thursday, February 25, 2010

खेल

रुद्रप्रताप क्लब स्तर के क्रिकेट वन डे श्रृंखला का मेन ओफ़ दि सिरीज चुना गया.घर पहुंचा तो थाल सजाकर आरती उतारी गयी.कप को टेबुल पर सजाया गया.यादगार बल्ला स्टैंड के सहारे खडी कर दी गयी.तस्वीरें दीवार से चिपका दी गयी.घर के सारे लोग एक साथ बैठकर जश्न मना रहे थे.तभी बडा भाई रविप्रताप अन्य दिनों की तरह चुपचाप घर मे घुसा और अपने निजी कक्ष मे चला गया.अन्दर से दरबाजा बन्द कर दिया और अपनी एक तस्वीर छिपाकर चुपचाप अपनी एक एलबम मे लगा दी.फ़िर जेब से एक पदक निकाला.एशियाड के बेस्ट एथलीट का यह मेडल उसने अपने सीने से सटाकर आंखें बंद कर ली.

5 comments:

Udan Tashtari said...

गहरा कटाक्ष. अन्य खेलों को इसी तरह नजर अंदाज किया जा रहा है.

कडुवासच said...

....खेलों के साथ, खिलाडियों के साथ ये मतभेद उचित नहीं है ...सिर्फ़ क्रिकेट ही सबकुछ नहीं है वरन अन्य खेल भी महत्वपूर्ण हैं जब हम एशियाड, ओलंपिक व अन्य टूर्नामेंटों मे जीतते हैं पदक प्राप्त करते हैं तो हमें उतना ही गर्व करना चाहिये जितना क्रिकेट की जीत पर करते हैं..... बहुत प्रसंशनीय लघुकथा,बधाई !!!!

36solutions said...

अरविन्द जी आपको होली की हार्दिक शुभकामनाये.

कडुवासच said...

...होली की लख-लख बधाईंया व शुभकामनाएं !!

हरकीरत ' हीर' said...

शुक्रिया .....शिरकत के लिए .......!!

क्रिकेट का जूनून किसी और खेल को कदम बढ़ाने ही नहीं देता ......!!