मेरी मां ने मुझे कहा था............,
भाग-१
तुम सुरज मेरे जीवन के,
सारे जग को रौशन करना.
जिस घर मे हो काली रातें,
उस घर मे तुम ज्योति जलाना।
सत्य तुम्हारा संबल होगा,
मानवता को धर्म बनाना.
करे मुक्त जो नीर नयन से,
ऎसा अपना कर्म बनाना।
हर मोड पर दो राह मिलेंगे,
पथिक नहीं घबराना उस पल.
जो पथ जग को स्वर्ग बनाये,
आगे बढना उस पथ पर चल।
लक्ष्य यदि हों पुष्प समान
पथ मे कांटे ही कांटे होंगे.
पाना हो जब सूर्य सी आभा,
तो पहले काली रातें होंगे।
राह मध्य तुम मत रुकना,
बाधाओं से कभी न झुकना.
हिंसा और असत्य से लडना,
शत्रु के भय से कभी न डरना। क्रमश:................,
3 comments:
bahut barhia isi tarah likhte rahiye
http://mithilanews.com
हर मोड पर दो राह मिलेंगे,
पथिक नहीं घबराना उस पल.
जो पथ जग को स्वर्ग बनाये,
आगे बढना उस पथ पर चल।
राह मध्य तुम मत रुकना,
बाधाओं से कभी न झुकना.
हिंसा और असत्य से लडना,
शत्रु के भय से कभी न डरना।
पूरी कविता ही भावमय है प्रेरणात्मक है मगर ये दो पहरे बहुत ही सुन्दर लगे अच्छा लिखते हो लिखते रहो बहुत बहुत आशीर्वाद । एक दिन बहुत आगे जाओगे। शुभकामनायें
सार्थक संदेश देती सुन्दर रचना । आभार
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