राजा ने अपना प्रवचन जारी रखा----"वोही हनुमान जब बङा हुआ तो रावन का लंका जो सोना का बना हुआ था, जलाकर राख कर दिया. यानि कि पीला-धन को काला-धन बना दिया. तब का रावण भले घमंडी था लेकिन कलियुग के रावण के माफ़िक काला धन नहीं रखता था इसलिये उसका लंका सोने का था. भले ही हनुमानजी ने रावण का पीला धन को काला धन में बदल दिया लेकिन उस टाइम का राम लंका के उस काला-धन को ईंडिया नहीं ला सका. अपुन उम्मीद करता है कि कलियुग का देव बाबा रामदेव स्विस बैंक में रखा हुआ काला-धन इंडिया ले आयेगा. वैसे अपुन हनुमानजी पे बोल रहा है तो एक बात बता देता है कि तब के राम और आज का रामदेव के बीच का मेजर डिफ़रेन्स येही है कि त्रेता का राम बल-बुद्धि और विद्या के धनी वानर पे भरोसा करता था जबकि कलियुग का बाबा रामदेव वानर के बदले दुष्ट-नर पर भरोसा करता है."
राजा को खुद नहीं पता था कि उसने रामचरितमानस से रामदेवचरितमानस की ओर टर्न ले लिया था. फ़िर भी सौ चूहे खाकर हज की यात्रा का निर्णय लेना ही बहुत बङी बात होती है.अपराधिक प्रवृति का व्यक्ति यदि प्रवचन दे रहा था तो यह बहुत बङी बात थी, भले ही वह भगवान राम के बदले बाबा रामदेव को ही क्यों न प्रवचन का विषय बना ले.उसका प्रवचन निरन्तर रहा-------" कलियुग का बाबा रामदेव कालाधन को पीलाधन तो बनायेगा ही. उपर से बाबा ये भी बोलता है कि अपुन के देश में जहां खुशहाली और समृद्धि का नाली भी नहीं बहता है वहां खुशियों की गंगा बहायेगा. शराब ,तम्बाकू , गुटखा के उत्पादन और प्रसार को रोकेगा. एक-एक आदमी के किडनी और लीवर को दुरुस्त करेगा. भले ही ये सब करते-करते करोङो बेईमानो का हार्ट ब्रेक कर जाये लेकिन लोक-सभा में सैकङो इमानदारों को जरूर पहुंचायेगा. यानी कि सीधी बात------
भ्रष्टाचार को शिष्टाचार पढायेगा
कालाधन को पीलाधन बनायेगा
विदेशी के बदले स्वदेशी चलायेगा.
विलेन्टाइन डे के बदले बसंत-पंचमी मनायेगा.
मल्लिका शेरावत को सलवार-सूट पहनायेगा.
अंग्रेजियत को हिन्दी सिखायेगा
राम-राज्य से रोम-राज्य भगायेगा."
तभी मेरा दस साल का बेटा टिंकू बोल पङा----"मामा प्रवचन सुना रहे हो या कविता गा रहे हो ?" राजा को भांजा का विरोध बर्दाश्त नहीं हुआ----" चुप रह चड्ढीलाल. तू क्या बोलेगा. तू भी सत्ता पक्ष के सांसद की तरह बात करने लगा है. अच्छी बात प्रवचन से कहूं या कविता गाकर.....बात सही है तो सही है.-----भक्तों---इसी तरह कलियुग के देवता बाबा रामदेव का भी छोटे कद का बच्चा जैसा लोग विरोध करता है कि बाबा योग के साथ-साथ राजनीति काहे को करता है. काहे को बेईमान लोगों के चेहरे का नकाब उठाता है. काहे को गङे मुर्दे को जमीन से निकालता है---लेकिन बाबा रामदेव अपुन के जैसे ताल ठोकता है. गङे मुर्दे को जमीन से निकालता है--पोस्टमार्टम करने को. ओ पोस्टमार्टम करेगा और जांच करेगा कि कुछ जिन्दा और मुर्दा लोग कैसे पुरे देश का किडनी और लीवर बर्बाद कर दिया. ओ तो गनीमत है कि अपुन के देश का हार्ट इतना मजबूत है कि अभी भी बोडी दुरुस्त काम कर रहा है. उपर से बाबा है तो बांकी पार्ट भी ठीक हो जायेगा. जब बाबा अपने पेट को सटकाता है तो उसका थ्री-डाइमेन्सनल पेट टू-डाइमेन्सनल प्लेन बन जाता है. जरूर ही ओ नेताओं और बेईमानों का बढा हुआ मल्टी-डाइमेन्सनल पेट को प्लेन बना देगा.अपुन अब आज का प्रवचन बंद करता है कल बाबा रामदेव के माफ़िक योगासन सिखायेगा"
लोगों के जाते समय भक्तों के चढावे से पूजा की थाल रुपयों से भर गयी थी. श्रीमतीजी, ससुरजी, सासू-मां, चिन्टी और खुद राजा उसे देखकर आत्म-विभोर हो रहे थे. मैं चाहकार भी खुश कैसे हो सकता था. जब से प्रवचन शुरु हुआ था मां लक्ष्मी घर में रोज पधार रही थी और सारा श्रेय मेरे साला राजा को मिल रहा था. मैं तो अपने घर में ही परायों सा महसूस कर रहा था. लेकिन आज मेरा बेटा टिन्कू भी नाराज दिख रहा था. उसने अपने दुख का राज मेरे सामने प्रगट किया---"पापा...आज सबके सामने मामाजी ने फ़िर से मुझे चड्ढीलाल कहकर पुकारा" . मेरे दिल में जल रहे आग को घी की जरुरत थी जिसे मेरे बेटे ने फ़्री में सप्लाई कर दिया था. राजा के प्रवचन को रुकवाने का एक मजबूत काट मुझे मिल गया था. मैंने टिंकू को समझाया ---- " अब देख बेटा....किस तरह मैं तुम्हारे मामा का प्रवचन भी बंद करवाता हूं और बोरिया-बिस्तर समेंटकर गांव भी भिजवाता हूं. उसने तुम्हारे साथ-साथ मेरे स्वाभिमान को भी ठेंस पहुंचाया है."
क्रमशः
2 comments:
बहुत बढ़िया लगा! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!
अरविंद भाई गजब का लिखते हो आप। लगे रहो।
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ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।
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