डा. बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकरजी के जन्म दिवस की पुर्व-सन्ध्या के अवसर पर मेरी रचना:-
सदियों से जो दलित बनकर
पैर को तेरे पखारा
तेरी जय में भी पराजित
तेरी हारों में भी हारा
आज उसके पग धरो रे
पंक को निर्मल करो रे.
फ़ूलों की भेंट हुई पुरी
नीरजों की हो चुकी पूजा.
अशक्त हैं कुछ अस्थियां
उन तन्तुओं में बल भरो रे
पंक को निर्मल करो रे.
भर चुके आंखों की प्याली
सुख दुखों के ही अमिय से
कुछ कटोरे रिक्त हैं जो
उनमे भी तुम जल भरो रे
पंक को निर्मल करो रे.
हुई अर्चना मां लक्ष्मी की
सरस्वती की वंदना भी
बिक रही बाजार बनकर
शीष उनपे नत करो रे
पंक को निर्मल करो रे.
सदियों से जो दलित बनकर
पैर को तेरे पखारा
तेरी जय में भी पराजित
तेरी हारों में भी हारा
आज उसके पग धरो रे
पंक को निर्मल करो रे.
फ़ूलों की भेंट हुई पुरी
नीरजों की हो चुकी पूजा.
अशक्त हैं कुछ अस्थियां
उन तन्तुओं में बल भरो रे
पंक को निर्मल करो रे.
भर चुके आंखों की प्याली
सुख दुखों के ही अमिय से
कुछ कटोरे रिक्त हैं जो
उनमे भी तुम जल भरो रे
पंक को निर्मल करो रे.
हुई अर्चना मां लक्ष्मी की
सरस्वती की वंदना भी
बिक रही बाजार बनकर
शीष उनपे नत करो रे
पंक को निर्मल करो रे.
11 comments:
sundar or sateek abhiwyakti...
Jai HO Mangalmay HO
बहुत सुन्दर रचना ...
भर चुके आंखों की प्याली
सुख दुखों के ही अमिय से
कुछ कटोरे रिक्त हैं जो
उनमे भी तुम जल भरो रे
पंक को निर्मल करो रे.
bahut hi achhi rachna
कवियों की रचनाओं का अनमोल संग्रह का संपादन मैं पुनः कर रही हूँ , सबकी तरफ से एक निश्चित धनराशि का योगदान
है ... क्या शामिल होना चाहेंगे ?
1) इस पुस्तक में 25-30 कवियों/कवयित्रियों की प्रतिनिधि कविताओं को संकलित की जायेंगी।
2) इस पुस्तक का संपादन रश्मि प्रभा करेंगी।
3) एक कवि को लगभग 6 पृष्ठ दिया जायेगा
4) सहयोग राशि के बदले में पुस्तक की 25 प्रतियाँ दी जायेंगी।
5) सभी पुस्तकें हार्ड-बाइंड (सजिल्द) होंगी और उनमें विशेष तरह कागज इस्तेमाल किया जायेगा।
6) यदि कोई कवि 6 से अधिक पृष्ठ की माँग करता है या उसकी कविताएँ 6 से अधिक पृष्ठ घेरती हैं तो उसे प्रति पृष्ठ रु 500 के हिसाब
से अतिरिक्त सहयोग देना होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी कवि को 10 पृष्ठ चाहिए तो 4 अतिरिक्त पृष्ठों के लिए रु 500 X 4= रु 2000
अतिरिक्त देना होगा
7) यदि कोई कवि 25 से अधिक प्रतियाँ चाहता है तो उसे अभी ही कुल प्रतियों की संख्या बतानी होगी। अतिरिक्त प्रतियाँ उसे
अधिकतम मूल्य (जो कि रु 300 होगा) पर 50 प्रतिशत छूट (यानी रु 150 प्रति पुस्तक) पर दी जायेंगी।
8) यदि किसी कवि ने अतिरिक्त कॉपियों का ऑर्डर पहले से बुक नहीं किया है तो बाद में अतिरिक्त कॉपियों की आपूर्ति की गारंटी हिन्द-युग्म
या रश्मि प्रभा की नहीं होगी। यदि प्रतियाँ उपलब्ध होंगी तो 33 प्रतिशत छूट के बाद यानी रु 200 में दी जायेंगी।
9) कविता-संग्रह की कविताओं पर संबंधित कवियों का कॉपीराइट होगा।
10) सभी कवियों और संपादक को 20 प्रतिशत की रॉयल्टी दी जायेगी (बराबर-बराबर)
rasprabha@gmail.com per sampark karen
हुई अर्चना मां लक्ष्मी की
सरस्वती की वंदना भी
बिक रही बाजार बनकर
शीष उनपे नत करो रे
पंक को निर्मल करो रे.
Nihayat sundar rachana!
Very influential :)
बिल्कुल सच है। बहुत सुन्दर रचना ...
दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर....
रचना बहुत अच्छी लगी। आज कल धर्म भी बाजार बन गया है। पूजा अर्चना सब स्वार्थ के लिये ही होता है। शुभकक़मनायें।
समय तो हर चीज़ को निर्मल करने का आ गया है.. एक आन्दोलन चल रहा है.. अभी और भी उठेंगे..
आंबेडकर जयंती पर सुन्दर रचना..
तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचार का इंतज़ार है..
आभार
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