वैसे सूर्यग्रहण तो पहले भी होते रहे हैं लेकिन आज का सूर्यग्रहण बहुत ही अनोखा है। पहली बार मीदिया ने इसे इतना बडा कवरेज दिया है कि लगता है बीते सप्ताह यह खबर हमारे देश मे पहले पायदान पर रही. तीन दिनों से सभी न्यूज चैनलों पर सिर्फ़ यही दिखाया जा रहा है. ज्योतिषों और पंडितों को बुलाकर चैनलों पर घंटों भर उनसे बातचीत की जा रही है. कोई दूसरी खबर नहीं है. यदि और कोइ खबर होगी भी तो सूर्यग्रहण के बाद ही उसमे मसाला लगाकर परोसा जायेगा.प्रकृर्ति की इस नियमित घटना को पाखंडियों ने आजकल एक हथियार बना लिया है. इसमे मीडिया का योगदान तो अभूतपूर्व है. अपनी रोटी सेंकने के लिये लगता है मीडिया ने नेतओं, उद्योगपतियों के साथ साथ अब ज्योतिषों और पाखंडियों के साथ भी हाथ मिला लिया है॥ मीडियावालों ! सभी से हाथ मिलाते रहो.....यह बुरी बात नही है....लेकिन राष्ट्रहित तो देखो.देश के महन वैग्यानिकों की अनदेखी कर यदि ज्योतिषों का इस तरह महिमा-मंडन किया जायेगा तो देश का क्या हाल होगा? कुछ चैनलों ने भले ही वैग्यानिकों से बातचीत को भी टी.वी पर दिखाय, लेकिन एक सामान्य प्राकृतिक घटना जिसका रहस्य काफ़ी पहले खुल गया है उसके बारे मे वैग्यानिकों से पूछना कहां तक उचित है?.मैं मानता हूं आज भी देश की आबादी का एक हिस्सा अशिक्षित है जो चैनलों की हर बात को चाव से देखती है लेकिन बांकी लोगों को बेवकूफ़ बनाना अच्छी बात नही है. कौन नही जानता है कि सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने से सूर्यग्रहण लगता है. जहां तक प्रभाव की बात है तो निश्चय ही कुछ देर तक सौर-उर्जा का कुछ हिस्सा चंद्रमा के अवरोध से पृथ्वी तक नही आ पाता. यह प्रभाव तो अच्छा नही है लेकिन सामान्यतः इसे नगन्य माना जा सकता है.
दूसरी तरफ़ मीडिया के द्वारा पैदा किया गया दुष्प्रभाव सूर्यग्रहण के प्रभाव से कई गुणा अधिक है। क्या मीडिया के पास इस बात की कोई प्रमाणिकता है कि इस सूर्यग्रहण से कुछ लोगों पर अच्छे या बुरे प्रभाव पडेंगे॥ जिस जादु-टोना, भूत-प्रेत और टोटकों जैसे अंधविश्वास को धार्मिक-रूढवादिता कहकर हम आगे बढते चले गये, क्या मीडिया फ़िर हमें वहीं ले जाना चाहती है?। ज्योतिष तो श्रद्धा की बात कहकर पीछे हट जायेंगे लेकिन मीडिया के लोग इन अप्रमाणिक बातों का क्या जबाव देंगे. जिस महादान को चैनल करोडो जनता को दिखा रही है, क्या वे लोग जानते हैं कि तत्काल इसका आर्थिक प्रभाव क्या होगा? घी, दूध,गुड,दाल और अन्य खाद्द्यान्न यदि देश की सौ करोड जनता खरीदकर दान करने लगे तो............दूसरी ओर दान के लिये पात्रता की बात. कही यह ब्राह्मणों का षडयंत्र तो नहीं? खैर विषय चिंतन करने की है. दूसरी बात महास्नान की. इलाहाबद, हरिद्वार और वारणसी में लाखों लोग महास्नान का पूण्य प्राप्त करने जुट गये हैं जो सूर्यग्रहण के दुष्प्रभाव से बचायेगी. मीडिया बार-बार यही बात दुहरा रही है. जबकी ट्रेफ़िक जाम, भगदड, दूर्घटनायें और गंगाजल मे प्रदूषण के सिवा इससे कुछ भी प्राप्त नही होनेवाला. किसी की श्रद्धा और भावनाओं को चोट नही पहुंचाना चाहिये, लेकिन किसी के भीतर के अंधविश्वास को जगाना या बढावा देना---मीडिया के लिये ठीक नही है.
मीडिया को राष्ट्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। लगभग एक सप्ताह से इनकी स्थिति देखकर श्पष्ट हो चुका है कि चौथा स्तंभ बहुत कमजोर हो चुका है. यह भी रुपयों के बदले बिक चुका है. करोडो लोगों को दिग्भ्रमित करना, समाचारों को तोड-मरोडकर पेश करना और देशहित के समाचारों को वरीयता ना देना----आज के न्यूज चैनलों के कार्य-लक्षण हैं. यह दंडनीय अपरध है. इसके लिये न्यूज-चैनल चलानेवालों को(यदि शर्म बचा हुआ है तो) माफ़ी मांगनी चाहिये. हमारे हजारो जनप्रतिनिधि सदन मे बठकर राष्ट्रहित के मुद्दों पर बहस कर रहे हैं, लाकों लोगों की नजर शेयर बाजार पर लगी हुई है, करोडो लोग आम जरुरत को पूरा करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं.कई विद्वान, वैग्यानिक, खिलाडी आदि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. ऎसी स्थिति मे जन-साधारण तक खबर पहुचानेवाली संस्थायें यदि सभी खबरों को छोडकर कुछ ज्योतिषों, ब्रह्मणो और पाखडियों को साथ लेकर सूर्यग्रहण का महापर्व मना रही है तो..........यह दुखद है.
अरविन्द झा
०९७५२४७५४८१
5 comments:
टीवी मे परोसे गये हर बात का असर दर्शको पर पडता है, खासकर एसे लोगो पर तो और भी गहरा प्रभाव पडता है जो कम पढे लिखे है या पूरी तरह से अशिक्षित है. टीवी मीडिया के द्वारा एसे लोगो के मन मे धर्म और आस्था के नाम पर आडम्बर, पाखण्ड व अन्धविश्वास की जडे मजबूत करने के उद्देश्य से करोडो लोगों को दिग्भ्रमित करना निन्दनीय है.
कौन कहता है कि आशमां मे सूराख नही हो सकता ...... बहुत विचरोत्तेजक आलेख लिखा है अरविन्द जी आपने. धन्यवाद.
आपकी वैज्ञानिक द्रष्टि और सोच जानकर अच्छा लगा । इस समय इसी हौसले की ज़रूरत है । ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है । शरद कोकास दुर्ग ( छ.ग.)
right feature at right time
सही आलेख..मिडिया को तो बस कुछ हाथ लगना चाहिये.
सही बात है बहुत अच्छा लिखा है ये बाज़ार बाद की और इस दान को लेने वाले लोगों की भी मिली भगत है। अन्ध विश्वास तो है ही। चैनल वाले भी तो बाज़ार्बाद के साथ हैं ये ज्योतिशी और कुछ ठग लोग भी इस आस्था का खूब शोशण कर रहे है। लिखते रहो आशीर्वाद्
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