पाप निकलता ही है.
पुण्य बचता ही है.
धर्म बहता ही है.
कर्म करता ही है.
गुण चमकता ही है.
बुराई छलकता ही है.
देखो कसता कसौटी पर
काल अटकता नहीं है.
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7 comments:
वाह ...बहुत बढि़या।
अच्छी तुकबंदी के साथ सुन्दर अर्थपूर्ण कविता , बधाई !
प्रभावशाली प्रस्तुति
आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना , बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा .
बेहतरीन प्रस्तुति।
शानदार
सच !
ओ3म तत सत आमीन !
facebook पर भी खाता खोलें यदि नहीं है .वैचारिक क्रान्ति को आगे बढ़ाने मेँ इण्टरनेट का योगदान कम नहीं है .प्रसार आवश्यक है .
in facebook सर्च कर इसे पसंद करेँ .
सुंदर प्रस्तुति
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