Monday, December 26, 2011

सत्यनिष्ठा




नौकरी का आवेदन पत्र भेजने के सात साल बाद चन्द्राकर को साक्षात्कार के लिये बुलाया गया.अब उसे नौकरी की जरूरत नहीं थी क्योंकि वह बिजनेस करने लगा था , लेकिन अनुभव प्राप्त करने के लिये वह साक्षात्कार बोर्ड में उपस्थित हुआ.एक सदस्य ने पूछा..."इस पद के लिये आपमे कितनी काबिलियत है?" जबाव था---"सर यह पद आरक्षित है और मैं अकेला उम्मेदवार हूं. "दूसरे सदस्य ने पूछा---"आपको इस पद पर काफ़ी मेहनत करनी होगी.?"चन्द्राकर ने कहा--"सर मेहनत करने की मुझे आदत नहीं है...हां मैं चमचागिरी कर सकता हूं."तीसरे सदस्य ने कहा---"क्या आप विश्वास दिलायेंगे कि आप ईमानदारी से काम करेंगे ".उसने छूटते ही उत्तर दिया---"हां मैं यकीन दिलाता हूं कि भ्रष्टाचार से कमाये गये सभी रुपयों का हिसाब और कमीशन उपर के अधिकारी तक ईमानदारी से पहुंचा दूंगा."फ़िर बोर्ड के चेयर्मैन ने उसे यह कहते हुए बधाई दी कि उसका चयन कर लिया गया है.जाते समय चन्द्राकर यह जानना चाहता था कि उसके चयन का आधार क्या था.कुछ कहने के बदले चेयर्मैन ने उसके तरफ़ एक पुरानी पेपर जिसमे भारत का मानचित्र खींचा था और जिसके बीच मे एक जगह पर सत्यनिष्ठा लिखा हुआ था उसकी ओर बढा दिया.

2 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत दिनों बाद किसी पोस्ट का पढना अच्छा लगा।

जय हो

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति, आपको नव-वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाये !