Wednesday, April 27, 2011

चुप्पी



बीच चौराहे पर दो-तीन गुंडों ने सेठ की गाङी रोक दी और अंधा-धुंध फ़ायरिंग की. सेठ वहीं ढेर हो गया. तभी किसी ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस आयी और पूछताछ करने लगी. इंसपेक्टर ने कहा--- " बीच चौराहे पर किसी को गोली मारी गयी और किसी ने नहीं देखा ? ये कैसे हो सकता है ? कोई तो सच-सच बताओ कि गोली किसने चलायी." अपराधी तो वहां से भाग चुके थे पर किसी भद्र-जन ने अपनी चुप्पी नहीं तोङी. तभी एक अस्सी साल का बूढा सामने आकर कहा....."Gentleman such offens is niver committed  due to the violence of bad people but the silence of good people    (ऐसे अपराध गिने-चुने बुरे लोगों की हिसा की वजह से नहीं बल्कि ढेर सारे अच्छे लोगों की चुप्पी की वजह से होती है.)

7 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

अरविंद भाई, कम शब्‍दों में बडी बात कह दी आपने।

बधाई।

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देखिए ब्‍लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्‍वासी आज भी रत्‍नों की अंगूठी पहनते हैं।

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद शब्‍दों में

Unknown said...

saral abhiwyakti ...se badi baat kahna koi aap se seekhe!!


Jai HO mangalmay Ho

Urmi said...

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

गागर में सागर भर दिया है आपने.हमारे ब्लॉग में हमेशा स्वागत है.

drsatyajitsahu.blogspot.in said...

nice short story.................powerfull

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

इस शमा को जलाए रखें।

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ये शानदार मौका...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...