Tuesday, June 28, 2011

मैं ,मेरी श्रीमतीजी और......( भाग-२०, व्यंग्य)



मैंने समझाया----"लेकिन राज्य का विकास तो हो रहा है ना ?"

"अरे जीजे.....राज्य के विकास के चक्कर में अपुन का विकास तो रुक गया न. अपुन गांव जायेगा तो अपटी खेत में मारा जायेगा. अब तो सरकार रोजगार का गारंटी दे रहा है, अब अपुन के पिच्छु-पिच्छु कौन घूमेगा. उपर से नौकरी में भी उपर का इनकम बंद हो गयेला है. मुख्य-मंत्री बोलता है कि कोई घूस मांगता है तो उसके मूंह पे मूत दो, अपुन कोई शौचालय का टंकी थोङे ही है. उपर से मूतनेवाले के पास भी इमानदारी का सर्टिफ़िकेट तो है नहीं.नर-मूत्र के बदले गौ-मूत्र पिलाया जाता तो पी भी लेता."

मैंने चुटकी ली----"क्यों नहीं, जब गाय का चारा खा सकते हो तो गौ-मुत्र पीने में हर्ज ही क्या है." लेकिन वह गुस्सा गया, बोला----"जीजे.....गाय का चारा खाना मामुली बात है क्या..?...अपुन एक थाली में गाय का चारा रखता है कोई खा के दिखाये. चारे का चार दाना तो चबा नहीं पायेगा कि सारा का सारा दांत हाथ में आ जायेगा. एक तो अपुन लोग गाय का चारा खाया उपर से गौ माता को स्कूटर और बाईक से एक शहर से दूसरे शहर घुमाया....फ़िए भी पब्लिक नाराज है."

जिस तरह राजनेता लाचार पब्लिक को मूल मुद्दे से ध्यान हटाकर फ़ालतू बात करते हैं उसी तरह राजा मेरे साथ कर रहा था. बेकार इस तरह की बातों से फ़ायदा ही क्या था. मैंने सीधे पूछा----" तुम गांव जाओगे या नहीं?" मेरा प्रश्न तो द्वि-वैकल्पिक था लेकिन राजा का जवाब दीर्घ-उत्तरीय निकला----"अपुन देश का नागरिक है और पूरा देश अपुन का है. कोई माई का लाल अपुन को शहर से गांव नहीं भेज सकता. अपुन चाहेगा तो मुम्बई में रहेगा, चाहेगा तो दिल्ली में. दूसरी बात साला साधू हो या गुंडा जीजा पर उसका भी हक है. तीसरी बात हम टपोरी का वायलेन्स से उतना प्रोबलेम नहीं है जितना जेन्टलमेन लोगों के सायलेन्स से है. अपुन तो कहेगा कि हम लोग क्राईम करता है तो काहे को एसी जेल में रखकर गरमा-गरम पूरी खिलाता है, चुप रहनेवाले जेन्टलमेन लोगों को चौराहे पर चप्पल मारो...सब ठीक हो जायेगा." अब मुझसे सहा नहीं जा रहा था---"यानि कि भद्र-पुरुशों को दंडित किया जाये..?" उसने बीच में ही टोका----" नहीं, सबकुछ आंखों के सामने देखकर भी चुप रहनेवाले पावरलेस जेन्टलमेन को पनिश करो तो सब ठीक हो जायेगा. अपुन जैसा माइनोरिटी में रहनेवाला क्रिमिनल जुबान काट लेता है जबकि मेजोरिटी वाला जेन्टलमेन लोग जुबान खोलने में भी शरम करता है.कितना शरम की बात है जीजे."

सालेजी के जुबान से कोई बात निकल जाये और वह उसे जस्टिफ़ाई न कर दे ये कैसे हो सकता है.



क्रमशः अगले भाग मे ससुरजी का भ्रष्ट-पुराण

2 comments:

Urmi said...

वाह! बहुत बढ़िया लगा! "अपुन देश का नागरिक है और पूरा देश अपुन का है। कोई माई का लाल अपुन को शहर से गांव नहीं भेज सकता" बिल्कुल सही ! मज़ा आ गया! अब तो अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा!

kshama said...

Ha,ha,ha!