आंखों में उसकी दिखे सारा जग है.
मेरी मां की सूरत बहुत ही अलग है.
नयनों में है उसकी गंगा की धारा
आंचल से देती वो जग को सहारा.
खुदा तो किसी को नहीं माफ़ करता
ममता की मूरत बहुत ही अलग है.
मेरी मां की सूरत बहुत ही अलग है.
गुरु मांगता शीष चरणों में अपने
पिता कहते पूरे करो मेरे सपने
पूजा मांगता नभ में बैठा विधाता
मां की जरुरत बहुत ही अलग है.
मेरी मां की सूरत बहुत ही अलग है.
वफ़ा करती है मेरी महबूब चंदा
रोटी के लिये है दुनियां में धंधा.
पल में रुलाना खुदा की है आदत
मैया की फ़ितरत बहुत ही अलग है.
मेरी मां की सूरत बहुत ही अलग है.