गीत-१, वह तेरी कहानी कहती है.
शिव तेरी जटा से गंगा की जो धारा बहती है, वह तेरी कहानी कहती है.
गिर पर्वत से सागर की लहरों से जो मिलती है वह तेरी कहानी कहती है.
कलकल धारा के शब्द नहीं
वह भाव हृदय के हैं तेरे.
आकार नहीं जल के होते
शायद श्वरूप हैं ये तेरे .
जग के पापों से भरकर भी जो निर्मल रहती है वह तेरी कहानी कहती है.
शिव तेरी जटा से गंगा की जो धारा बहती है, वह तेरी कहानी कहती है.
नहीं अलग होने का दुख
न ही मिलन की है खुशियां.
न ही सपनें नभ छूने के
है तल में ही उसकी दुनियां.
यमुना से पलभर के लिये जो संगम करती है वह तेरी कहानी कहती है.
शिव तेरी जटा से गंगा की जो धारा बहती है, वह तेरी कहानी कहती है.
कोई जो पथ उसका रोके
तो समझो उसका खैर नहीं
है इतनी विशाल उसकी छाती
है किसी जीव से वैर नहीं
मैलों से पीकर विष चुपचाप सहा जो करती है वह तेरी कहानी कहती है.
शिव तेरी जटा से गंगा की जो धारा बहती है, वह तेरी कहानी कहती है.
गीत-२, आज नहीं देखुंगी नाच तेरी भोले.
आज नहीं देखुंगी नाच तेरी भोले.
मेरी शपथ है जो आंख तुने खोले.
गरदन में तेरी है सांपों की माला
डरती बहुत है मेरी दुनियां आला
नांचोगे तुम तो छिप जाउंगी मैं
एक हाथ डमरु है एक हाथ भाला
तेरी पद-चापों से धरती भी डोले.
आज नहीं देखुंगी नाच तेरी भोले.
एक बूंद टपका तो जल जायेंगे सब
है कंठ तेरे या विष का है सागर.
खुली जो जटा तो खुलेगा खजाना
गंगा समेटे हो जैसे हो गागर.
आंखें हैं तेरी या आग के गोले.
आज नहीं देखुंगी नाच तेरी भोले.
शमसान में नांचते प्रेत सारे
कहते सभी हैं वे दास तुम्हारे
रुक जाती है तब हवा का भी बहना
जलता नहीं सुर्य छाते अंधेरे.
इससे तो अच्छा है और तु सो ले.
आज नहीं देखुंगी नाच तेरी भोले.
गीत-३, शिव पी के भांग भंगियाय गया.
मत पूछो आज क्या हाल भया
शिव पी के भांग भंगियाय गया.
एक चोर घुसा था मंदिर में
शिव पर गंगाजल डाल दिया.
संतुष्ट हुए भोले-शिव-शंकर
उसको धन का आशीष दिया.
भोले ने सबको सुलाय दिया
वह मूरत शिव की चुराय गया
शिव पी के भांग भंगियाय गया.
वह मूरत थी छोटी लेकिन
बढने लगी शिव की काया.
मूरत बढती थी कण-कण
हजार गुणा उसकी माया.
शिव भक्त के भाव चढाय गया
बुड्ढा इतना सठियाय गया
शिव पी के भांग भंगियाय गया.
वह बंद किया शिव को घर में
शिव का बढना फ़िर भी न रुका
वह चाहा शिव को नीलाम करे
पर मूरत न कोई खरीद सका
पागल बाबा खिसियाय गया
उस चोर को खुद में समाय गया.
शिव पी के भांग भंगियाय गया.
उस चोर ने जब आंखें खोली
खुद को शिव में ही वह पाया
जग शिव में कण-कण में शिव
माया में शिव-शिव में माया.
शिव चोर को साधु बनाय गया
उसे भक्ति का पाठ पढाय गया.
शिव पी के भांग भंगियाय गया
13 comments:
वाह आज तो शिव सा सुंदर ब्लॉग है ... मस्ती भरे गीत हैं शिव उपासना में ...
शिव का अर्थ ही कल्याण है, फ़िर क्यों न हो?
बहुत ही उम्दा गीत । बधाई
सम्वेदना की पराकाष्ठा को स्पर्श करती हुई एक श्रेष्ठ कविता। आभार|
तरल और निर्मल अभिव्यक्त गंगा.
शिव स्वरुप का बखान करती एक उत्कृष्ट रचना।
kuch nya padne....mila! swagat hai..........
Jai Ho Mangalmay Ho
very nice blog...
keep visiting My Blog Thanx...
Lyrics Mantra
Music Bol
अद्भुत रचनाएं।
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ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
jai bhole nath
आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
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गणतंत्र को नमन करें
शिव सा सुंदर ब्लॉग है ... मस्ती भरे गीत हैं.
बधाई
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