Thursday, April 21, 2011

तुम दूर ही रहो.





मेरे निकट मत आना.

बेईमानी की बदबू से

दम घुटेंगे तुम्हारे.

चमकते चिकने चेहरे की

बदसूरत और टेढी-मेढी

झूठी रेखाएं

साफ़-साफ़ दिख जायेंगी.

भावनाओं और विचारों की

हत्या करनेवाले हाथ

खून से इस तरह रंगे मिलेंगे

कि निशान भी नहीं देख सकोगे

ईंसानों की भाग्य-रेखा का.

अपने छोटे से पेट के लिये

चट कर चुका हूं

कुरान की आयतों को.

छोटे से मांसल गुल्ली से

मूत चुका हूं

गीता के श्लोकों पर.

नहीं देख पाओगे

लाखों कोशिकाओं के बीच

की लम्बी दरारें.

नहीं झेल पाओगे

खूबसूरत मांसल जिस्म के

बीच की नर-कंकाल को.

बिल्कुल नहीं सह पाओगे

यह कि तुम

मेरे दिल में नहीं ठहर सकते

इसका कई बार पोस्टमार्टम हो चुका है.

7 comments:

रश्मि प्रभा... said...

badhiyaa

Rahul Singh said...

ऐसी क्रांति के दूत बनने से बचें तो अच्‍छा.

ZEAL said...

Thursday, April 21, 2011
तुम दूर ही रहो.




मेरे निकट मत आना.

बेईमानी की बदबू से

दम घुटेंगे तुम्हारे.

चमकते चिकने चेहरे की

बदसूरत और टेढी-मेढी

झूठी रेखाएं

साफ़-साफ़ दिख जायेंगी.

भावनाओं और विचारों की

हत्या करनेवाले हाथ

खून से इस तरह रंगे मिलेंगे

कि निशान भी नहीं देख सकोगे

ईंसानों की भाग्य-रेखा का.

अपने छोटे से पेट के लिये

चट कर चुका हूं

कुरान की आयतों को.

छोटे से मांसल गुल्ली से

मूत चुका हूं

गीता के श्लोकों पर.

नहीं देख पाओगे

लाखों कोशिकाओं के बीच

की लम्बी दरारें.

नहीं झेल पाओगे

खूबसूरत मांसल जिस्म के

बीच की नर-कंकाल को.

बिल्कुल नहीं सह पाओगे


Beautiful satire !

.

drsatyajitsahu.blogspot.in said...

unique presentation...................

संजय भास्‍कर said...

अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

Unknown said...

bahut sundar rachna ....swagat hai !!

Jai HO Mangalmay HO

swamiadbhutanand said...

SUNDAR.
MAZA AA GAYA PADHKE.